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[Hindi] बिहार का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (20-26 जून, 2020) और फसल सलाह

June 20, 2020 11:32 AM |

आइए जानते हैं बिहार में इस सप्ताह यानि 20 जून से 26 जून के बीच कैसा रहेगा मौसम। जानेंगे फसलों से जुड़ी सलाह भी।

इस मॉनसून सीजन में बिहार में अच्छी बारिश हो रही है। 1 जून से 20 जून के बीच बिहार में सामान्य से 62% अधिक बारिश हुई है। बारिश होने के चलते तापमान अधिकांश जगहों पर गिरा है और यह सामान्य से कुछ नीचे चल रहा है।

20 से 22 जून के बीच बिहार के अधिकांश जिलों में हल्की से मध्यम बारिश जारी रहने की संभावना है। हालांकि भारी बारिश इस दौरान नहीं होगी लेकिन मौसम भी पूरी तरह शुष्क नहीं रहेगा।

23 जून से बिहार में वर्षा की गतिविधियों में काफी वृद्धि होने की संभावना है। 23 से 26 जून के बीच पटना, गया, भागलपुर, नवादा, जमुई, सीवान, अररिया, पुर्णिया, किशनगंज, सुपौल, सीतामढ़ी, मधुबनी, चंपारण समेत कई स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। उस दौरान दिन के तापमान में काफी गिरावट संभव है।

बिहार के किसानों के लिए फसल सलाह

बादल छाए रहने और हल्की से मध्यम वर्षा के पूर्वानुमान को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि धान की नर्सरी डालना जारी रखें। नर्सरी में खरपतवार के नियंत्रण के लिए बीज डालने के 1 से 3 दिनों के अंदर पायरोजोसलफ्युरान ईथाइल 10% डब्ल्यू.पी. की 20 ग्राम प्रति 1000 वर्ग मीटर नर्सरी के लिए प्रयोग करें। धान की सीधी बुवाई में खरपतवार के नियंत्रण के लिए बुआई के 2 दिनों के अंदर पेंडीमेथालीन 30 ई.सी. की 3 लीटर मात्रा प्रति हेक्टर की दंर से 600 से 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

सोयाबीन की खेती के लिए जीवांशयुक्त हल्की दोमट मिट्टी वाले खेतों का चयन करें, जहां जल निकास की उचित व्यवस्था हो। 75 से 80 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई करें। 

पक चुकी मूंग की तुड़ाई जारी रखें। अरहर की बुआई के लिए खेतों को तैयार करें। अधिक लवणीय व क्षारिय मिट्टी को छोड़कर अरहर की खेती प्रायः सभी तरह की मिट्टियों में की जा सकती है। हालांकि इसके लिए ऐसे खेतों का चुनाव करना चाहिए जहां पानी का जमाव न होता हो। खेत की अच्छी जुताई करके अंतिम जुताई के समय 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की सड़ी खाद खेत में मिलाकर खेत तैयार करें। 

उड़द की खेती कार्बनिक पदार्थों की प्रचुरता वाली बलुई दोमट से दोमट मिट्टी, जिसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हो में असानी से की जा सकती है। नवीन, टी-9 जैसी रोगरोधी क़िस्मों का चुनाव करके पंक्ति से पंक्ति 30 सें.मी. तथा पौधों से पौधों की दूरी 5 सें.मी. रखकर बुवाई करें। खरीफ में 12 से 15 कि.ग्रा. बीज प्रति हेक्टर पर्याप्त है। बीज जनित रोगों से बचाव हेतु उचित फफूँदनाशी से अवश्य उपचार करें।

Image Credit: Uday India

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