आइए जानते हैं बिहार में इस सप्ताह यानि 4 जुलाई से 10 जुलाई के बीच कैसा रहेगा मौसम। जानेंगे फसलों से जुड़ी सलाह भी।
1 जून से 3 जुलाई के बीच बिहार में 62% अधिक वर्षा प्राप्त हुई है। पिछले सप्ताह बिहार के कई जिलों में भारी वर्षा से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था तथा जून के आखिरी सप्ताह में और जुलाई के शुरुआती दिनों में कई स्थानों पर वज्रपात होने से कई लोगों की जान भी गई।
फिलहाल इस सप्ताह बिहार में लगातार मूसलाधार वर्षा की संभावना कुछ दिनों के लिए कम है। परंतु हल्की से मध्यम वर्षा की गतिविधियां बिहार के कई जिलों में जारी रह सकती हैं। पिछले दिनों हुई बारिश के कारण राज्य के तापमान में कुछ कमी आई थी। तापमान में जब कमी आ जाती है तब हवाओं में नमी होने के बावजूद गरजने वाले बादल कम बनेंगे तथा वज्रपात की आशंका भी इस सप्ताह कम रहेगी।
बिहार के किसानों के लिए फसल सलाह
मौसम पूर्वानुमान के अनुसार कम अवधि वाली तथा सुगंधित धान की क़िस्मों की नर्सरी डालना जारी रखें। करीब 1 महीने पहले डाली गरी लंबी अवधि की किस्मों की खेत में रोपनी करें। जहां जमीन ऊंची हो तथा अधिक दिनों तक पानी नहीं टिकता हो, वहाँ धान की खेती हेतु 80 से 115 दिनों में परिपक्व होने वाली क़िस्मों प्रभात, धनलक्ष्मी, सरोज, राजेंद्र भगवती की नर्सरी डालें।
धान की फसल को बैक्टेरियल लीफ ब्लाईट से बचाने के लिए स्युडोमोनास फ्लोरिसेन्स 1.5% डबल्यू.पी. से 5 ग्राम प्रति किग्रा की दर से बीज उपचारित करें।
हरी खाद के लिए लगाए गए मूँग, ढ़ैचा, सनई आदि को मिट्टी में मिला कर, पानी देकर 7 से 10 दिनों तक सड़ने के लिए खेत में छोड़ दें। उसके बाद हीं धान की रोपाई करें।
अरहर की देर से तैयार होने वाली उन्नत किस्मों जैसे बहार, नरेंद्र अरहर-2 और पूसा 9 वहीं कम दिनों में परिपक्व होने वाली किस्मों जैसे जागृति, लक्ष्मी, प्रगति आदि की खेती करके अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। एक हेक्टेयर की बुवाई हेतु 20 कि.ग्रा बीज पर्याप्त है, 20 कि.ग्रा. नेत्रजन, 40 से 50 कि.ग्रा. स्फुर देकर उर्वरता प्रबंधन करें। 20 कि.ग्रा. गंधक व्यवहार करने से अच्छी वानस्पतिक वृद्धि के साथ गुणवत्तापूर्ण दाने प्राप्त होते हैं।
बरसात में घास फूस एक समस्या है। अरहर बोने के तुरंत बाद खरपतवार के नियंत्रण हेतु पेंडिंमेथालिन 30 ईसी का 3 लीटर प्रति हेक्टेयर की देर से मिट्टी में मिला दें।
Image credit: Kolkata news
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