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बिहार में इस सप्ताह शुरुआती दिनों में मौसम शुष्क रहेगा। लेकिन सप्ताह के मध्य से मौसम में बदलाव होगा। राज्य के कुछ इलाकों में रुक-रुक कर हल्की वर्षा देखने को मिलेगी। इस सप्ताह यानी 4 से 10 अप्रैल के बीच बिहार में तापमान सामान्य के आसपास ही रहने की संभावना है। साथ ही हल्की से मध्यम हवाएं रुक-रुक कर चलती रहेंगी।
अनुमान है कि 7 अप्रैल को बिहार के दक्षिणी हिस्सों में खासतौर पर गया, औरंगाबाद, रोहतास, नवादा, जमुई, बांका, जैसे इलाकों में हल्की वर्षा दर्ज की जाएगी। 8 अप्रैल को पूरे बिहार में आंशिक बादल छाए रहने और रुक-रुक कर हल्की वर्षा होने की संभावना है।
9 और 10 अप्रैल को पूर्वी और उत्तर-पूर्वी बिहार में खासतौर पर भागलपुर, कटिहार, पुर्णिया, मधेपुरा, किशनगंज, अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी में हल्की प्री-मॉनसून वर्षा हो सकती है। इस दौरान पटना-गया समेत दक्षिण-पश्चिमी बिहार में मौसम शुष्क रहेगा।
बिहार के किसानों के लिए फसल सलाह
अगले कुछ दिनों में मौसम के शुष्क रहने के अनुमान को देखते हुए किसान साथी तैयार हो चुकी अरहर, चना, गेहूं तथा जौ फसलों की कटाई शीघ्रता से निपटाएं। संभव हो तो उन्नत कृषि यंत्रों से हीं कटाई-मड़ाई करें।
जिन क्षेत्रों में महज़ गेहूं और धान की खेती होती है, वहाँ किसान खेत खाली होने पर गरमा मूंग की खेती कर अतिरिक्त लाभ ले सकते हैं।
उचित जल निकास वाली मिट्टी में, जिसका पी.एच. मान 6.2 से 7.2 के बीच है, वह खेत मूंग फसल के लिए उत्तम होता है। पी.डी.एम-139 (सम्राट), सोना किस्में 20 से 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें।
गन्ने की फसल में कलिका (स्मॉट) रोग का प्रकोप अप्रैल से प्रारंभ होता है। लंबे चाबुकनुमा मुड़े हुए डंठलों का उत्पन्न होना ही इसकी पहचान है। इसके अनगिनत बीजाणु फटकर हवा के जरिए स्वस्थ पौधों को संक्रमित करते हैं, इसके नियंत्रण के लिए रोग लगे पौधों को काटकर जला देना चाहिए।
दलहनी चारा फसल बरसीम से बीज लेना हो तो कटाई बंद कर दें और फूल लगने से लेकर बीज बनने के बीच सिंचाई करते रहें। 20-25 दिन पहले बोई गई लोबिया की फसल से खरपतवार निकालें और हल्की सिंचाई करें।
Image credit: Tribune India
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