उत्तर प्रदेश का साप्ताहिक मौसम पूर्वानुमान (05 से 11 सितंबर, 2019), किसानों के लिए फसल सलाह
उत्तर प्रदेश में इस बार मॉनसून काफी कमजोर रहा है। भारी बारिश कुछ ही इलाकों में देखने को मिली है। बुंदेलखंड क्षेत्र में मॉनसून ने काफी निराश किया है। बारिश कम हुई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में 1 जून से 4 सितबर के बीच बारिश में कमी 17% की रही है जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाल और बुरा रहा है। यहाँ बारिश में कमी 26% की रही।
इस समय भी उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में मौसम शुष्क ही बना हुआ है। स्काइमेट का अनुमान है कि राज्य में 5 और 6 सितंबर को अधिकांश हिस्सों में मौसम शुष्क रहेगा। इस दौरान मध्य प्रदेश से सटे भागों और तराई क्षेत्रों में कुछ बारिश की संभावना है। लेकिन मध्य और पश्चिमी भागों में मौसम शुष्क ही बना रहेगा।
उम्मीद है कि 7 सितंबर से उत्तर प्रदेश में मौसम बदलेगा क्योंकि ओड़ीशा के पास बना निम्न दबाव का क्षेत्र आगे बढ़ते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश पर पहुंचेगा। माना जा रहा है कि यह सिस्टम लंबे समय तक उत्तर प्रदेश पर टिकेगा जिससे बारिश का दौरान 4-5 दिनों तक चलेगा।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 7 सितंबर से प्रयागराज, वाराणसी, मिर्ज़ापुर, गोरखपुर, जौनपुर, प्रतापगढ़, अयोध्या, रायबरेली, लखनऊ, कानपुर, बांदा, झाँसी, चित्रकूट, महोबा सहित अधिकांश पूर्वी भागों में बारिश शुरू होगी। इन क्षेत्रों में रुक-रुक कर हल्की से मध्यम बारिश का सिलसिला 11 सितंबर तक जारी रहेगा।
अनुमान है कि 8 सितंबर से बारिश पश्चिम की तरफ भी शुरू होगी लेकिन राज्य के पश्चिमी किनारों पर बारिश की उम्मीद कम है। अनुमान है कि हरदोई, लखीमपुर खेरी, शाहजहाँपुर, पीलीभीत, बरेली, फ़र्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, एटा, मैनपुरी सहित आसपास के इलाकों में बारिश हो सकती है।
दूसरी ओर बुलंदशहर, मेरठ, सहारनपुर, और आसपास के इलाकों में मौसम मुख्यतः शुष्क ही बना रहेगा।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल सलाह
आने वाले दिनों में बारिश की समनाओं को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि निचली इलाकों वाले खेतों में अत्यधिक पानी के निकासी हेतु नालियाँ बनाएँ ताकि जल जमाव न हो। जहां पानी की कमी हो वहाँ मेडबंदी करें ताकि पानी बाद में काम आने के लिए जमा हो सके।
उमस बढ़ने पर फसलों में रोग और कीट लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए फसलों की निगरानी करते रहें।
मूंगफली की फसल में यदि में टिक्का रोग के लक्षण देखें तो नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम २ ग्राम प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। मूंग तथा उड़द की फसल के पीले मोजैक से ग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें।
धान में तना छेदक (स्टेम बोरर) व पत्ती लपेटक (लीफ-फोल्डर) आदि कीटों के प्रबंधन हेतु खेत में जगह-जगह बर्ड-पर्चर लगाएं।
बारिश बंद होने पर आलू की अगड़ी किस्म की बुआई के लिए खेत तैयार करें। रबी मौसम में लागई जाने सब्जियों जैसे टमाटर, बैंगन, मिर्ची, फूलगोभी, पत्तागोभी आदि की नर्सरी तैयार करने का उचित समय है।
Image credit: The Financial Express
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