महाराष्ट्र में इस पूरे सप्ताह यानी 10-16 अप्रैल के बीच मौसम का मिलाजुला असर देखने को मिलेगा। जहां कुछ इलाकों में बारिश होगी तो वहीं कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां के लोगों को लू का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भी सप्ताह के आखिर तक लू जैसी स्थितियां बन सकती है।
जानिए राज्य के किन भागों में है बारिश की उम्मीद
अगर बारिश की बात करें तो यहां 11 अप्रैल से बारिश की शुरुआत होगी। यह बारिश का दौर सबसे पहले अमरावती, वर्धा, नागपुर, गोंदिया, भंडारा, चंद्रपुर में 11 और 12 अप्रैल को होने के आसार हैं। हल्की बारिश से इन इलाकों में गर्मी से मामूली राहत मिल सकती है।
जिसके बाद इन भागों में 13 अप्रैल से बारिश बंद हो जाएगी। जबकि सांगली, सतारा, कोल्हापुर और इसके आसपास के इलाकों में 13 और 14 अप्रैल को बादल बढ़ेंगे और इन भागों में दोनों दिन एक-दो स्थानों पर हल्की वर्षा के लिए मौसम अनुकूल बना रहेगा।
15 अप्रैल को बारिश का दायरा बढ़ेगा और तटीय शहरों मुंबई, रत्नागिरी, दहानु, ठाणे और रायगढ़ को छोड़कर महाराष्ट्र के लगभग बाकी सभी भागों में छिटपुट वर्षा देखने को मिलेगी। 16 अप्रैल से फिर से बारिश की गतिविधियां कम हो जाएंगी। और छिटपुट जगहों पर ही सीमित रह जाएंगी।
इस सप्ताह मुंबई का तापमान
इस सप्ताह तापमान की अगर बात करें तो महाराष्ट्र के लगभग सभी शहरों में दिन में पारा 40 से 44 डिग्री के बीच रहेगा। इन सब के बीच विदर्भ, मराठवाडा और मध्य महाराष्ट्र के उत्तरी भागों के शहरों जैसे जलगांव और मालेगाँव में लू जैसी स्थितियाँ बनी रह सकती है।
राज्य के तटीय शहरों में 13 अप्रैल से तापमान में हल्की वृद्धि होने की संभावना है। मुंबई सहित इन भागों में अधिकतम तापमान 36 से 39 डिग्री तक जा सकता है।
मायानगरी मुंबई और दहानु जैसे कई तटीय शहरों में उत्तर से आने वाली गरम और शुष्क हवाओं का असर 13 अप्रैल से देखने को मिलेगा, जिससे लू जैसी स्थितियाँ बन सकती हैं।
मौसम का फसलों पर असर :
मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र में गर्मियों में बोये जाने वाले वाले मक्के और मूंगफली की फसल को लू के कारण नुकसान हो सकता है। स्काइमेट का सुझाव है कि सुबह और शाम के समय स्प्रिंकलर से सिंचाई करें। जिससे फसलों पर लू का प्रभाव कम पड़े। साथ ही आम, पपीता और केले को भी प्लास्टिक या कागज से ढक दें।
इसके अलावा विदर्भ और कोंकण के किसानों को धान के फसलों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बारिश न होने और लू बने रहने की स्थिति में सिंचाई समय पर करें ताकि फसलों को नुकसान न पहुंचे।
Image Credit: smartkhet.blogspot.com
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