अप्रैल की शुरुआत से भारत में चक्रवाती तूफान का सीज़न शुरू हो जाता है। लेकिन अप्रैल के शुरुआती 10 दिनों तक बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में कोई मौसमी हलचल विकसित नहीं हुई। हालांकि अब ऐसा लग रहा है कि यह इंतज़ार ख़त्म होने को है क्योंकि बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्वी हिस्सों में एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हो गया है।
मौसम से जुड़े सभी मॉडल संकेत कर रहे हैं कि इसमें और सशक्त होकर चक्रवाती तूफान का रूप लेने की क्षमता है। हालांकि यह निश्चित रूप से चक्रवात बनेगा या फिर कमजोर हो जाएगा यह कहना अभी मुश्किल है। अगर यह सिस्टम चक्रवात बनाता है तो इसे “मोरा” नाम दिया जाएगा। भारत में चक्रवाती तूफान के दो सीज़न हैं। पहला मॉनसून से पहले अप्रैल और मई महीने में तथा दूसरा मॉनसून के बाद अक्तूबर, नवंबर और दिसम्बर महीने में।
स्काइमेट के अनुसार बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व और उससे सटे अंडमान सागर पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हो गया है। इस समय यह सिस्टम समुद्र की सतह से 2.1 किलोमीटर ऊपर है। यह सिस्टम और प्रभावी होते हुए 14 अप्रैल को निम्न दबाव का रूप ले सकता है। शुरुआत में इसकी दिशा उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी रहने की संभावना है। इसके पश्चात 16 अप्रैल तक यह गहरे निम्न दबाव का रूप ले सकता है तथा दिशा उत्तरी हो सकती है। लंबी समुद्री यात्रा के चलते इसकी गति धीमी रहने की संभावना है। अनुमान है कि यह सिस्टम 19 अप्रैल को फिर से अपनी दिशा में कुछ बदलाव करेगा और उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी दिशा में बांग्लादेश तथा म्यांमार के तटों की ओर बढ़ेगा।
इस संभावित चक्रवाती तूफान का असर यूं तो भारत के मुख्य भू-भाग पर बहुत अधिक नहीं पड़ेगा लेकिन पूर्वी तटीय इलाकों विशेषकर ओड़ीशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के तटवर्ती जिलों में तेज़ हवाओं के साथ वर्षा की संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
Image credit: Deccan Chronicle
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