दक्षिण पश्चिम मॉनसून 30 सितंबर को आधिकारिक तौर पर विदा हो जाता है। हालांकि उसके बाद भी मध्य अक्टूबर तक देश के कुछ इलाकों में मॉनसूनी हवाएं प्रभावी रहती हैं और देश के कुछ भागों में इन हवाओं के प्रभाव से बारिश होती रहती है। दूसरी ओर अक्टूबर में ही दक्षिण भारत के भागों पर उत्तर-पूर्वी मॉनसून का आगमन हो जाता है, जिसकी घोषणा आमतौर पर महीने के आखिर में की जाती है। उत्तर-पूर्वी मॉनसून के आने से दक्षिण भारत के राज्यों में बारिश बढ़ जाती है।
अब नवंबर विदा हो चुका है और दिसंबर महीने के मौसम पर नजर डालें तो देश में दो ही तरह की गतिविधियां मौसम की खबर होती हैं। एक उत्तर भारत में सर्दी का बढ़ना तो दूसरा दक्षिण भारत में उत्तर पूर्वी मॉनसून के कारण बारिश की गतिविधियां। हालांकि दिसंबर में उत्तर में सर्दी का प्रभाव बढ़ता है तो दूसरी ओर दक्षिण भारत में दिसंबर के दूसरे चरण में उत्तर पूर्वी मॉनसून धीरे-धीरे अपनी विदाई की राह पर जाने लगता है।
दिसंबर के आखिर में उत्तर और उत्तर पश्चिम भारत के लगभग सभी भागों में कड़ाके की ठंड शुरू हो जाती है। इस दौरान तापमान में भारी गिरावट होती है। क्रिसमस आते-आते उत्तर भारत के अनेक पहाड़ी इलाकों में भारी बर्फबारी होने लगती है जिससे ऊंची चोटियाँ बर्फ की सफ़ेद चादर से ढँक सी जाती हैं।
दूसरी तरफ कोहरा भी घना होने लगता है जो रेल, सड़क और हवाई यातायात में ब्रेक लगाता है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में लगभग सभी स्थानों पर तापमान एक इकाई में यानी 10 डिग्री से काफी नीचे दर्ज किया जाता है और पहाड़ों पर शून्य या उससे भी नीचे पहुँच जाता है।
दिसंबर महीने में देश के मध्य इलाकों में भी कड़ाके की ठंड शुरू हो जाती है। पहाड़ों पर अधिकांश इलाकों में बर्फबारी के कारण शीतलहर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों से होते हुए मध्य भारत तक पहुँच जाती है। इसी दौरान मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के अलावा तेलंगाना भी शीतलहर की चपेट में आ जाते हैं। इन भागों में भी रात का तापमान 10 डिग्री से नीचे आ जाता है।
दिसंबर के आखिर में आते आते दक्षिण भारत को बारिश देने वाला उत्तर-पूर्वी मॉनसून कमजोर हो जाता है और वापसी की राह पर निकल लेता है। इस दौरान अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में यानि भारतीय उप-महाद्वीप में उठने वाले चक्रवाती तूफान की संभावना भी खत्म हो जाती है। कह सकते हैं कि दिसंबर महीने में चक्रवाती तूफान आने की संभावना काफी कम हो जाती है।
पूर्वोत्तर राज्यों में दिसंबर महीने में भी उत्तर और उत्तर पश्चिम भारत के मुकाबले सर्दी काफी कम पड़ती है। पूर्वोत्तर भारत की भौगोलिक बनावट के कारण यहां की मौसम स्थितियां उत्तर भारत से अलग होती हैं और यही वजह है कि दिसंबर में भी पूर्वोत्तर राज्यों में सर्दी कम पड़ती है। आमतौर पर अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे पहाड़ों पर बर्फबारी होती है लेकिन शिलांग जैसे अन्य ऊंचे स्थानों पर हिमपात देखने को नहीं मिलता।
तापमान में निरंतर और व्यापक गिरावट के कारण देश के उत्तर और मध्य इलाकों में पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है, जिसे सब्जियों सहित अनेक रबी फसलों के लिहाज से अच्छी मौसमी घटना नहीं माना जाता, क्योंकि इससे फसलों को काफी नुकसान होता है।
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