मध्य भारत के कुछ हिस्सों में खासतौर पर विदर्भ, दक्षिण-पूर्वी और पूर्वी मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में इस साल मार्च महीने में सामान्य से बहुत अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। इन भागों में कई शहर ऐसे रहे जहां बारिश सामान्य से कई सौ प्रतिशत ऊपर रही है।
पिछले 24 घंटों के दौरान भी पूर्वी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में वर्षा रिकॉर्ड की गई है। बिलासपुर में 16 मिलीमीटर की मध्यम बारिश दर्ज की गई। पेंडरा रोड में भी 5 मिलीमीटर वर्षा हुई। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के बाकी हिस्सों और पूर्वी मध्य प्रदेश में भी एक-दो स्थानों पर हल्की बारिश दर्ज की गई है।
फिलहाल मध्य भारत के भागों में अगले 48 घंटों के दौरान बारिश की गतिविधियां कम हो जाएंगी। उसके बाद यानि 23 मार्च की शाम या रात से मौसम फिर से बदलेगा। अनुमान है कि बारिश का आगामी स्पेल मार्च के आखिर तक मध्य भारत के कई इलाकों में रहेगा। अनुमान है कि बारिश की शुरुआत 23 मार्च की रात से पश्चिमी मध्य प्रदेश और राजस्थान से होगी उसके बाद धीरे-धीरे मध्य भारत के बाकी हिस्से भी प्रभावित होंगे।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 23-24 मार्च से अगले एक सप्ताह के बीच मध्य भारत के विभिन्न हिस्सों में बारिश होगी। इस बार मध्य भारत के पश्चिमी इलाके प्रभावित होंगे। 24 मार्च को दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश के आसार हैं। इस दिन मध्य महाराष्ट्र में बारिश की तीव्रता सबसे अधिक होगी।
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अनुमान है कि 25 मार्च से इन सभी भागों में बारिश बढ़ जाएगी। राजस्थान में 25 और 26 मार्च को कई जगहों पर अच्छी बारिश देखने को मिल सकती है। साथ ही गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के उत्तरी हिस्सों में भी इस दौरान मध्यम से तेज़ वर्षा होने की संभावना है। 26 मार्च से महाराष्ट्र के दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में बारिश में काफी कमी आ जाएगी।
दूसरी ओर 26 मार्च को इंदौर, उज्जैन, रतलाम, देवास, कोटा, सवाई माधोपुर, जोधपुर, उदयपुर, अहमदाबाद, बड़ौदा, गांधीनगर, और नाशिक में कई जगहों पर मध्यम से भारी वर्षा के भी आसार हैं। 27 मार्च से दक्षिणी राजस्थान और गुजरात में बारिश में कमी आ जाएगी लेकिन मध्य प्रदेश में भोपाल समेत कई शहरों में बारिश जारी रहेगी।
29 मार्च से मध्य भारत के पश्चिमी हिस्सों में मौसम साफ हो जाएगा जबकि पूर्वी मध्य प्रदेश और विदर्भ समेत छत्तीसगढ़ में 29 और 30 मार्च को बारिश की गतिविधियां देखने को मिलेंगी। संभावित बारिश के लिए कई मौसमी सिस्टम जिम्मेदार होंगे। इनमें उत्तर भारत में आने वाले पश्चिमी विक्षोभ के अलावा बंगाल की खाड़ी पर बना विपरीत चक्रवती भी शामिल है। इस बारिश से फसलों को नुकसान की भी आशंका है।
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