राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बीते कई वर्षों में जनवरी, फरवरी और मार्च में औसत तापमान में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इस वर्ष मार्च की बात करें तो यह 2010 के बाद सबसे गर्म महीना रहा। इस पूरे महीने अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर दर्ज किया गया। महीने के 31 दिनों में 1 दिन को छोड़कर 30 दिन ऐसे रहे जब पारा ऊपर रहा। इसमें औसत वृद्धि 3.3 डिग्री सेल्सियस की दर्ज की गई।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली में न्यूनतम तापमान भी महीने के 26 दिन सामान्य से ऊपर रहे। इसके चलते दिल्ली वालों को समय से पहले सर्दी को बाय-बाय कहना पड़ा और मजबूरी में ग्रीष्म ऋतु का स्वागत करना पड़ा। इसके पीछे के कारणों की बात करते हुए वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ महेश पालावत कहते हैं कि दिल्ली में जहां मार्च में औसतन 16 मिमी बारिश होती है वहाँ इस बार बीते महीने भर मौसम शुष्क रहा। एक-दो दिन की बूँदाबाँदी को छोड़कर सभी दिन सूखे रहे।
सर्दियाँ बीतते समय बारिश के चलते तापमान नियंत्रण में रहता है। उसके बाद मार्च से प्री-मॉनसून गतिविधियां शुरू हो जाती हैं जिनके चलते मार्च-अप्रैल-मई-जून में बढ़ती गर्मी से राहत का इंटरवल आता है। इस बार मार्च में बारिश ना होने के कारण ही तापमान में निरंतर वृद्धि देखी गई। अप्रैल शुरू हो गया है और पारा सामान्य से ऊपर ही बना हुआ है। पिछले 24 घंटों के दौरान दिल्ली में दिन और रात में पारा सामान्य से 2 डिग्री ऊपर, दिन में 35.4 डिग्री जबकि न्यूनतम तापमान 20.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।
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स्काइमेट का अनुमान है कि अगले 3-4 दिनों के दौरान तापमान में हल्की वृद्धि होगी क्योंकि मौसम शुष्क बना रहेगा। हालांकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इससे सटे शहरों गुरुग्राम, गाज़ियाबाद, फ़रीदाबाद और नोएडा में 6-7 मार्च को हल्की प्री-मॉनसून हलचल संभावित है। इस दौरान कुछ समय के लिए गरज के साथ हल्की वर्षा दर्ज की जा सकती है, जिससे तापमान पर लगाम लगेगी और गर्मी से राहत मिलेगी।
Image credit: Travlelog
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