भीषण चक्रवाती तूफान ‘निवार’, अब कमजोर होते हुए चक्रवाती तूफान बन गया है। जल्द ही इसके डीप डिप्रेशन और उसके बाद डिप्रेशन बनने की संभावना है। तूफान निवार आज तड़के 2 से 3 बजे के बीच के उत्तर में 25 किलोमीटर दूर मरक्कनम के आसपास तटों से टकराया। तटों को पार करने से पहले तूफान की आगे बढ़ने की क्षमता लगभग 15 किलोमीटर प्रति घंटे की थी और इसके आसपास हवाओं की रफ्तार 130 किलोमीटर से भी अधिक रही। तूफान निवार का लैंडफॉल ठीक उसी क्षेत्र के करीब हुआ है जहां पर स्काइमेट और अन्य मौसमी एजेंसी अनुमान लगा रही थीं।
इस तूफान के लैंडफॉल करने की प्रक्रिया 25 नवंबर की रात 11:00 बजे से शुरू हो गई थी लगभग 4 घंटे तक यानि 3 बजे तक जारी रही। यानि यह तटीय इलाकों के भीतरी भागों को 3 बजे पार कर गया था। जिस दौरान यह तटों के करीब पहुंचा था कुड्डालोर, चेन्नई, समेत आसपास के तमाम इलाकों में 100 किलोमीटर प्रतिघंटे से भी ज्यादा रफ्तार वाली हवाएं चल रही थी, जिसके कारण बिजली के खंभे और पेड़ या कच्चे मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं।
पुद्दुचेरी में बीते 24 घंटों के दौरान 303.5 मिलीमीटर की भीषण बारिश हुई है। इसके अलावा कुड्डालोर में भी 282 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई। अन्य सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में परंजिपेट्टई में 184 मिलीमीटर, मीनाम्बक्कम में 114, कराईकल में 86 और वेल्लोर में 82 मिमी वर्षा हुई।
आंध्र प्रदेश कि दक्षिणी भागों और रायलसीमा में भी इसका प्रभाव देखने को मिला है। अगले 24 घंटों के दौरान भी आंध्र प्रदेश पर इसका व्यापक असर दिखाई देगा। फिलहाल नेल्लोर में 137, कवली में 136, तथा तिरुपति में 127 मिलीमीटर वर्षा 12 घंटों के दौरान दर्ज की।
भीषण चक्रवाती तूफान अब कमजोर हो गया है और इस समय यह चक्रवाती तूफान की क्षमता में है। आज शाम तक इसके डीप डिप्रेशन और रात में या कल सुबह तक डिप्रेशन में तब्दील होने की संभावना है। कल दिन में ही इस सिस्टम के और कमजोर होकर निम्न दबाव का क्षेत्र बनने का अनुमान है। हालांकि 27 नवंबर तक चक्रवाती तूफान निवार का प्रभाव दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के साथ-साथ से सटे मध्य भारत के राज्यों पर भी दिखेगा और इस दौरान रायलसीमा, तटीय आंध्र प्रदेश और आंतरिक कर्नाटक तथा तेलंगाना में मध्यम से भारी वर्षा जारी रहेगी। इन इलाकों में बारिश के साथ 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पूर्वी हवाओं का प्रभाव भी देखने को मिलेगा।
चक्रवाती तूफान हाल के वर्षों में तमिलनाडु के तटों पर टकराने वाले तमाम चक्रवाती तूफानों की क्षमता के मुकाबले काफी व्यापक रूप में प्रभावी रहा। दिसंबर 2016 में तमिलनाडु के कई शहरों में तबाही मचाने वाले चक्रवाती तूफान वर्धा के बराबर इसकी क्षमता थी। गौरतलब है कि इस सिस्टम के कमजोर होने के बाद बंगाल की खाड़ी की तरफ से एक नया मौसमी सिस्टम पुनः दक्षिणी राज्यों का रुख करेगा। अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह और इसे सटे भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हो गया है। उम्मीद है कि नवंबर के आखिर तक यह निम्न दबाव का क्षेत्र या डिप्रेशन बन जाएगा जो दिसंबर 2020 की शुरुआत में उत्तर-पूर्वी मॉनसून को काफी अधिक सक्रिय करेगा और ऐसी ही बारिश दिसंबर के पहले सप्ताह में दक्षिण भारत के राज्यों में खासतौर पर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में देखने को मिल सकती है।
Image Credit: The Weather Channel
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