दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की विदाई के बाद पहाड़ों पर बारिश पश्चिमी विक्षोभ के कारण होती है। 1 अक्तूबर से 31 दिसम्बर तक पश्चिमी विक्षोभ सामान्य फ्रिक्वेन्सी में आते तो रहे लेकिन इस दौरान बारिश मुख्यतः कश्मीर में ही देखने को मिली। हिमाचल प्रदेश में भी बर्फ पड़ी और बारिश हुई लेकिन उत्तराखंड के ज़्यादातर भागों को पश्चिम से आने वाले मौसमी सिस्टम ने निराश किया। आंकड़ों में देखें तो उत्तराखंड लगभग सूखा रहा है।
जम्मू कश्मीर को छोड़कर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के बाद से यानि 1 अक्तूबर से 31 दिसम्बर तक के पोस्ट मॉनसून सीज़न में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है। जम्मू कश्मीर में इस दौरान 128.6 मिलीमीटर बारिश हुई जो सामान्य से मात्र 2% कम है। जबकि हिमाचल प्रदेश में औसत 108.2 के मुक़ाबले 56.5 मिलीमीटर बारिश हुई जो 48% कम है। उत्तराखंड में सूखे जैसे हालात रहे, जहां 89.6 मिलीमीटर के मुक़ाबले 72% कम 25 मिलीमीटर वर्षा हुई।
जनवरी भी जम्मू कश्मीर के लिए अब तक काफी बेहतर रहा है। जहां शुरुआत के एक सप्ताह में सामान्य से 81 फीसदी अधिक बारिश हुई। हिमाचल में भी 16% अधिक वर्षा हुई। जबकि उत्तराखंड में नए साल के नए महीने में भी हालात जस के तस हैं और सामान्य से 93% कम वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
इस बीच एक नया पश्चिमी विक्षोभ 10 जनवरी के आसपास फिर से पहाड़ों पर दस्तक देने वाला है। इसके चलते कश्मीर और हिमाचल में अधिकांश स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश देखने को मिलेगी। लेकिन अगले चरण में यानि 10 से 13 जनवरी के बीच भी दोनों पश्चिमी राज्यों के मुक़ाबले उत्तराखंड पीछे ही रहेगा। गौरतलब है कि पहाड़ों पर सर्दियों में होने वाली बारिश से ना सिर्फ जलाशयों, झीलों और नदियों में जल संग्रहण होता है बल्कि पूरी पारिस्थिकी के लिए बेहद अहम होती है। अभी की अच्छी बारिश से गर्मी के मौसम में पानी की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है।
Image credit: Chandrashila
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