झारखंड और बिहार के हिस्सों में बना निम्न दवाब क्षेत्र अब उत्तर-पश्चिमी दिशा की ओर बढ़ गया है और पूर्वी उत्तर प्रदेश और उससे सटे बिहार के हिस्सों में बन गया है।
हालांकि यह एक मजबूत प्रणाली नहीं है। लेकिन, फिर भी यह कमजोर प्रणाली उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के काफी ज्यादा हिस्सों को कवर कर रही है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि, अगले दो दिनों में यह प्रणाली मध्य प्रदेश के उत्तरी भागों, दक्षिण पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर राजस्थान तक बढ़ जाएगी। यह सिस्टम संभवतः उत्तर-पूर्वी राजस्थान पर कम ही प्रभावी रहेगी।
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इस मौसम प्रणाली के कारण मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के हिस्सों में पहले ही बहुत भारी बारिश देखी जा चुकी है। बता दें कि, कल यानि 20 अगस्त को उत्तर प्रदेश के फुरसतगंज में 131 मिमी बारिश दर्ज की गई। जबकि, लखनऊ में 66 मिमी और मध्य प्रदेश के दमोह में भी 68 मिमी की अच्छी बारिश दर्ज की गई। आंकड़ों पर नज़र डालने के बाद हम कह सकते हैं कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मध्य भागों में इस प्रणाली के कारण भारी बारिश रिकॉर्ड हुई है।
जैसे ही यह सिस्टम उत्तर पश्चिमी दिशा की ओर बढ़ेगा, यह उत्तर प्रदेश के मध्य भागों तथा मध्य प्रदेश के उत्तरी हिस्सों को कवर करना शुरू कर देगा और इसके बाद दक्षिण पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर राजस्थान को कवर करेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों पर अगले 48 घंटों में मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, कानपुर और लखनऊ जबकि मध्य प्रदेश के रीवा, सागर और सतना में आने वाले 24 घंटों में अच्छी बारिश होगी। इसके बाद, बारिश की गतिविधियां शिफ्ट होगी और उत्तर प्रदेश के मेरठ, अलीगढ़ और बरेली सहित मध्य प्रदेश के भोपाल, ग्वालियर, शिवपुरी और गुना में बारिश हो सकती है।
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23 अगस्त के आसपास, राजधानी दिल्ली और एनसीआर में भी इस प्रणाली का असर देखने को मिल सकता है। उस दौरान, दिल्ली-एनसीआर में अलग-अलग स्थानों पर कुछ स्थानों पर भारी वर्षा की उम्मीद है। राजस्थान के उत्तर-पूर्वी भाग में, अलवर, अजमेर, भरतपुर और धौलपुर जैसी जगहों पर भी बारिश हो सकती है।
तीसरे दिन, यानि 23 अगस्त तक जब सिस्टम ज्यादा प्रभावी होगा। इससे मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों जैसे भोपाल, इंदौर, उज्जैन, रतलाम और पूर्वी राजस्थान में अधिक बारिश होने की उम्मीद है।
मध्य, पूर्वी और भारतीय गंगीय मैदानों भागों पर बारिश की गतिविधियाँ समाप्त नहीं होंगी क्योंकि यह प्रणाली एक ताज़ा मौसमी प्रणाली के साथ मिल जाएगी जो इस समय बंगाल की खाड़ी में चल रही है।
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इसलिए, हम यह कह सकते हैं कि इस प्रणाली के आगे विस्तार से वर्षा की गतिविधियाँ जारी रहेगी।
Image Credit: The Indian Express
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