उत्तर प्रदेश और बिहार में इस बार मॉनसून के आगमन में काफी देरी हुई जिसके चलते जून में मॉनसून वर्षा इन राज्यों में बहुत कम रिकॉर्ड की गई। जून में बिहार में सामान्य से 40% कम और उत्तर प्रदेश में 56 प्रतिशत कम मॉनसून वर्षा रिकॉर्ड की गई थी। जुलाई में भी शुरुआत अच्छी नहीं रही और बंगाल की खाड़ी से उठने वाले ज्यादातर मॉनसून सिस्टम छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश होते हुए गुजरात और राजस्थान पर गए जिससे इन राज्यों में जुलाई के तीसरे सप्ताह तक भीषण बारिश जारी रही।
जुलाई के आखिरी 10 दिनों में परिस्थितियां बदलीं और पूर्वी भारत के भागों में मॉनसून सक्रिय हुआ जिसके चलते बिहार और उत्तर प्रदेश में ज्यादातर जगहों पर मूसलाधार बारिश रिकॉर्ड की गई। जुलाई के शुरुआती 15 दिनों तक बिहार 40% से, पश्चिमी उत्तर प्रदेश 48 और पूर्वी उत्तर प्रदेश 42% बारिश से पीछे था। इसके बाद भी 20 जुलाई तक स्थितियां नहीं बदली। जिसके चलते बिहार में बारिश में कमी का आंकड़ा 48% पर पहुंच गया और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 43 तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में 49% पर पहुंच गया।
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21 जुलाई के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार के कई भागों में मॉनसून वर्षा का दौर शुरू हुआ। कुछ स्थानों पर मुसलाधार बारिश ने भी दस्तक दी। उसके बाद से पिछले कुछ दिनों के दौरान उत्तर प्रदेश और बिहार के कई इलाकों में हर दिन सामान्य से लगभग 3 गुना अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। बीते 10 दिनों की बारिश के बाद अब बिहार में बारिश में कमी 23% और पूर्वी उत्तर प्रदेश में 19% की रह गई है। जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश का आंकड़ा सामान्य से 8% ऊपर पहुंच गया है।
दोनों प्रमुख कृषि राज्यों में बारिश भले देर से हुई लेकिन इसने खरीफ फसलों को नुकसान से बचा लिया है। इस समय खरीफ़ फसलों में सिंचाई की जरूरत को पिछले दिनों की मूसलाधार वर्षा ने पूरी कर दी है। यही नहीं राज्य में ग्राउंड वाटर के स्तर में भी सुधार हो गया है।
इस समय उत्तर प्रदेश के मध्य भागों पर निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार से होकर मॉनसून की अक्षीय रेखा भी गुजर रही है। जिसके चलते बिहार और उत्तर प्रदेश में अगले दो-तीन दिनों तक बारिश जारी रहेगी। इन भागों में कुछ स्थानों पर मूसलाधार बारिश के चलते बाढ़ जैसे हालात पैदा होने की भी संभावना है।
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