दक्षिण पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान उत्तर प्रदेश का शुमार ऐसे राज्यों में था जहां सबसे कम बारिश हुयी थी। वास्तव में, मध्य जुलाई तक राज्य में बारिश की कमी 50% से भी अधिक थी। हालांकि जल्द ही हालात में सुधार हुआ और राज्य में अलग - अलग जगहों पर, कहीं मध्यम तो कहीं भारी बारिश देखने को मिली।
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स्काईमेट वेदर के अनुसार, पिछले कई दिनों से मानसून की अक्षीय रेखा उत्तर प्रदेश में बनी हुयी थी। इस मौसम प्रणाली की वजह से राज्य के कई हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश देखने को मिली। वास्तव में ये बारिश, न केवल जुलाई में जारी सूखे के अनवरत दौर को तोड़ने में महत्वपूर्ण साबित हुई, बल्कि इसकी वजह से, बारिश के प्रदर्शन में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ। इस वजह से जो राज्य कुछ समय पहले तक वर्षा की भारी कमी से जूझ रहा था, वहां हालात संतोषजनक हो गये।
मंगलवार को सुबह 08:30 बजे से पिछले 24 घंटों के दौरान, उरई में 42 मिमी, मुजफ्फरनगर में 23 मिमी, बहराइच में 21 मिमी, इलाहाबाद में 20 मिमी, गोरखपुर में 14 मिमी, शाहजहांपुर में 7 मिमी, हरदोई में 6 मिमी, झांसी में 4 मिमी, मुरादाबाद में 3 मिमी, बांदा में 2 मिमी, फुरसतगंज में 2 मिमी, जबकि मेरठ और बरेली, दोनों ही जगहों पर 0.6 मिमी बारिश दर्ज की गई।
अब मानसून की अक्षीय रेखा एक बार फिर अपनी सामान्य स्थिति के दक्षिण में मौजूद है और वर्तमान में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से होकर गुज़र रही है। हालांकि पूर्वी हवाएं, पूरे राज्य के ऊपर से होकर बह रही हैं, लेकिन बारिश की तीव्रता में अब कमी आ सकती है, जिससे मौसम लगभग शुष्क रहेगा।
इसके बावजूद अलग-अलग जगहों जैसे बहराइच, लखनऊ, कानपुर, बरेली, मुरादाबाद, फुरसतगंज और सुल्तानपुर में हल्की बारिश हो सकती है लेकिन कम से कम अगले 2-3 दिनों तक जोरदार मानसूनी बारिश होने की फ़िलहाल कोई उम्मीद नहीं है।
ऐसा अनुमान है की 11 अगस्त के आसपास एक बार फिर मानसूनी बारिश जोर पकड़ सकती है और उस दौरान अच्छी बारिश होगी। इसलिए राज्य के कुछ हिस्सों में बाढ़ से मिली ये राहत, फौरी कही जा सकती है।
Image credit: TOI
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