[Hindi] मध्य प्रदेश से लेकर दक्षिण में तमिलनाडु और पूरब में झारखंड तक बेमौसम बरसात की जल्द संभावना

February 10, 2021 1:15 PM | Skymet Weather Team

हम सभी जानते हैं कि भारत में बारिश मुख्यतः दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से होती है। चार महीनों का यह बारिश का सीजन समूचे भारत को प्रभावित करता है और लगातार बारिश देता है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी के बाद देश के उत्तरी, मध्य और पूर्वी तथा पूर्वोत्तर राज्यों में मौसम शुष्क हो जाता है। जबकि दक्षिण भारत में आता है मिनी मॉनसून जिसे हम सभी उत्तर-पूर्वी मॉनसून के नाम से भी जानते हैं। इस मिनी मॉनसून के चलते तमिलनाडु, पुद्दुचेरी, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में अक्टूबर से दिसम्बर के बीच बारिश देखने को मिलती है।

बसंत ऋतु में सबसे कम होती है बारिश

बसंत ऋतु के समय देश के अधिकांश हिस्सों में मौसम शुष्क रहता है। बारिश बहुत सीमित इलाकों में देखने को मिलती है। इस समय बसंत ऋतु चल रही है और देश भर में मौसम शुष्क हो गया है। इस शुष्क मौसम में जल्द ही बदलाव आने वाला है और देश के कई राज्यों में बेमौसम बरसात की शुरुआत भी होने वाली है। अनुमान है कि यह बदलाव फरवरी माह के दूसरे पखवाड़े के शुरुआती दिनों से आएगा और प्रभावित होने वाले राज्य होंगे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंतरिक कर्नाटक और तमिलनाडु।

इन सभी राज्यों में 16 से 20 फरवरी के बीच बारिश होने या गरज के साथ बौछारें गिरने की संभावना है। इस बारिश को हम बेमौसम बरसात ही कहेंगे। कुछ लोगों को ऐसा लग सकता है कि यह प्री-मॉनसून शावर तो नहीं। यहाँ यह स्पष्ट कर दें कि प्री-मॉनसून शावर की शुरुआत तब होती है जब तापमान एक निश्चित सीमा के ऊपर पहुँच जाते हैं। जबकि अभी कई राज्यों में पारा सामान्य से नीचे चल रहा है।  

स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार पूर्वी मध्य प्रदेश और इससे सटे छत्तीसगढ़ तथा विदर्भ के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हो सकता है और इस सिस्टम से तेलंगाना होते हुए दक्षिणी तमिलनाडु तक एक ट्रफ विकसित हो सकती है। इन दोनों मौसमी सिस्टमों के चलते भारत के दोनों समुद्री किनारों अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आर्द्रता देश के जमीनी भागों के ऊपर पहुँचेगी जिससे मौसम बिगड़ेगा और बारिश देखने को मिलेगी।

प्री-मॉनसून वर्षा कब से होती है शुरू

भारत में प्री-मॉनसून वर्षा और अन्य प्री-मॉनसून गतिविधियां आमतौर पर मार्च के आखिर से शुरू हो जाती हैं लेकिन यह गतिविधियां तेज़ होती हैं अप्रैल और मई से। यह वही समय होता है जब बढ़ते तापमान के कारण धरती की सतह काफी गरम होने लगती है। इस दौरान उत्तर-पश्चिम भारत में तेज़ गर्जना के साथ अचानक बारिश होने या आँधी चलने की घटनाएँ हमें देखने को मिलती हैं। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में कई बार यह मौसमी हलचलें जानलेवा हो जाती हैं। इन भागों में होने वाली प्री-मॉनसून वर्षा या बादलों की तेज़ गर्जना के साथ तूफानी हवाएँ चलने, बिजली गिरने की इन गतिविधियों को काल बैसाखी के नाम से भी जाता है।

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