उत्तर-पूर्वी मॉनसून, अपने प्रदर्शन, कवर किए जाने वाले क्षेत्र और समयावधि के संदर्भ में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की तुलना में बहुत छोटा होता है। उत्तर-पूर्वी मॉनसून से होने वाली बारिश का देश की कुल वार्षिक वर्षा में सिर्फ 10% योगदान होता है जबकि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की 75% की बड़ी हिस्सेदारी है। उत्तर-पूर्वी मॉनसून महज़ दक्षिण भारत तक ही सीमित रहता है और मौसम संबंधी 5 सब-डिवीजनों तमिलनाडु, पुदुचेरी और कराईकल, केरल और माहे, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम, रायलसीमा तथा दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक को बारिश देता है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की विदाई के बाद उत्तर-पूर्वी मॉनसून के आगमन का मार्ग प्रशस्त होता है और अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर में दक्षिण भारत के उपर्युक्त 5 सब-डिवीजनों में होने वाली बारिश को उत्तर-पूर्वी मॉनसून के अंतर्गत दर्ज किया जाता है, भले ही इसके आगमन में देरी हो।
उत्तर-पूर्वी मॉनसून सबसे ज़्यादा बारिश तमिलनाडु में देता है। तमिलनाडु में पूरे साल में होने वाली कुल बारिश का 50% इन्हीं 3 महीनों की अवधि के दौरान लगभग होती है। उत्तर-पूर्वी मॉनसून के प्रदर्शन में कभी-कभी विशाल अंतर दिखाई देता है। कभी यह बहुत ज़्यादा बारिश दे देता है तो कभी उत्तर-पूर्वी मॉनसून की अवधि के दौरान बारिश बहुत कम होती है। यह अंतर आंकड़ों से और स्पष्ट हो जाएगा। उत्तर-पूर्वी मॉनसून वर्षा 2010 और 2015 में क्रमशः जहां सामान्य से 54% और 52% अधिक वहीं 2016 में यह सामान्य से 62% कम के स्तर पर रही। यही कारण है कि उत्तर-पूर्वी मॉनसून की अवधि में +/-11% को सामान्य वर्षा माना जाता है। जबकि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन में +/-4% को सामान्य वर्षा माना जाता है।
पिछले दो वर्षों 2018 और 2019 में भी इसी तरह का विपरीत प्रदर्शन उत्तर-पूर्वी मॉनसून का देखने को मिला। वर्षा 2018 में जहां 44% कम वर्षा दर्ज की गई वहीं 2019 में 13% अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। इन दो वर्षों में दक्षिण भारत के 5 सब-डिवीजनों में हुई बारिश भी बहुत अंतर दिखाती है:
उत्तर-पूर्वी मॉनसून 2020 भी कुछ कमजोर रहने वाला है। यहाँ तक कि उत्तर-पूर्वी मॉनसून का आगमन अभी भी दक्षिण भारत के राज्यों पर नहीं हो पाया है क्योंकि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने देश के सभी भागों से अलविदा अब तक नहीं कहा है। प्रशांत महासागर में सशक्त ला नीना का प्रभाव उत्तर-पूर्वी मॉनसून के दौरान होने वाली बारिश पर दिखाई दे सकता है। दक्षिणी क्षेत्रों को यह मुख्यतः निराश कर सकता है। उत्तरी उप-संभागों में बमुश्किल सामान्य के आसपास बारिश देखने को मिल सकती है।
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