पोस्ट मॉनसून सीजन की शुरूआत 1 अक्टूबर से होती है और इसी समय से शुरू हो जाता है देश में साइक्लोन सीजन। इस साइक्लोन सीजन का पहला डिप्रेशन बंगाल की खाड़ी के मध्य पूर्वी भागों पर विकसित हो चुका है। हालांकि यह इस महीने का दूसरा मौसमी सिस्टम है। पहला मौसमी सिस्टम निम्न दबाव के क्षेत्र के रूप में ओडिशा पर पहुंचा था। वर्तमान सिस्टम अपेक्षाकृत ज्यादा प्रभावी है और डिप्रेशन की क्षमता में आ चुका है।
डिप्रेशन पश्चिमी तथा उत्तर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा और संभावना है कि आंध्र प्रदेश के तटीय भागों से टकराएगा। इसके प्रभाव से पूर्वी तटीय क्षेत्रों में बारिश की गतिविधियां बढ़ चुकी हैं। आज रात से 12 अक्टूबर की रात तक समूचे तटीय आंध्र प्रदेश और ओडिशा के कुछ तटीय क्षेत्रों में भारी से अति भारी बारिश हो सकती है। तूफानी हवाएं भी चलेंगी। दक्षिणी तटीय ओडीशा, तटीय आंध्र प्रदेश और उत्तरी तमिलनाडु के तटवर्ती क्षेत्रों में बंगाल की खाड़ी में समुद्र में हलचल काफी ज्यादा होगी। तटवर्ती क्षेत्रों में 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में भी 12 अक्टूबर तक यही स्थिति बने रहने की संभावना है।
11 अक्टूबर से जब यह सिस्टम तटों के काफी करीब पहुंच जाएगा, तब इसका प्रभाव आंतरिक ओडिशा, दक्षिणी छत्तीसगढ़, विदर्भ, मराठवाड़ा, तेलंगाना और आंतरिक कर्नाटक में भी देखने को मिलेगा। इन क्षेत्रों में मध्यम से भारी बारिश देखने को मिल सकती है। मध्य प्रदेश के भी दक्षिणी भागों में मध्यम बारिश की संभावना है।
आंध्र प्रदेश के तटों को पार करने के बाद यह सिस्टम कमजोर होना शुरू करेगा और गहरे निम्न दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो जाएगा और जल्द ही यह निम्न दबाव की क्षमता में आ जाएगा। 14 अक्टूबर तक जब यह दक्षिणी मध्य महाराष्ट्र पर पहुंचेगा उस दौरान इसकी क्षमता चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र की होगी।
14 अक्तूबर को एक नया सिस्टम खाड़ी में होगा विकसित
14 अक्टूबर को एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी के उत्तर पूर्वी भागों और इससे सटे मध्य पूर्वी भागों पर विकसित होगा। इसके 24 से 48 घंटों के भीतर ही यह सिस्टम निम्न दबाव का क्षेत्र और उसके बाद डिप्रेशन बन जाएगा। आगामी सिस्टम के उत्तरी ओडिशा और गंगीय पश्चिम बंगाल से होकर 16 या 17 अक्टूबर को भीतरी भागों में आने की संभावना है। इसके प्रभाव से 16 और 17 अक्टूबर को गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और आसपास के कुछ राज्यों में भारी से भारी बारिश होने की संभावना है। यह सिस्टम पश्चिमी और उत्तर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा तथा उत्तरी छत्तीसगढ़, दक्षिणी बिहार और दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश पर जाएगा।
गौरतलब है कि इसी तरह से चक्रवाती तूफान भी बंगाल की खाड़ी में उठते हैं लेकिन आगामी दोनों सिस्टम काफी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं जिससे इनके चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की आशंका फिलहाल नहीं है। यह सिस्टम निम्न दबाव या डिप्रेशन की क्षमता में आने के बाद दो-तीन दिनों में ही खाड़ी को पार कर जाएंगे जिससे इनके तूफान बनने की आशंका नहीं रहेगी। आमतौर पर तूफान तभी विकसित होते हैं जब सिस्टम कम से कम 5-6 दिन की लंबी यात्रा समुद्री क्षेत्र की करते हैं।
लगातार जारी बारिश और दक्षिण पूर्वी आर्द्र हवाओं के कारण अक्टूबर के तीसरे सप्ताह तक मॉनसून की वापसी के लिए स्थितियां अनुकूल नहीं प्रतीत हो रही है।
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