अरब सागर के दक्षिणी मध्य भागों पर बना गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र जल्द ही प्रभावी होते हुए डिप्रेशन में तब्दील हो जाएगा। हालांकि यह प्रभावी होते समय पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ता रहेगा और भारतीय तटों से काफी दूर निकल जाएगा। इसलिए भारत के पश्चिमी तटों पर केरल से लेकर कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात तक सभी पश्चिमी तटीय भागों पर इसके प्रभाव की आशंका फिलहाल नहीं है। यह सिस्टम अपने साथ दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत पर बनी पूरी एनर्जी को खींच रहा है जिसकी वजह से उत्तर-पूर्वी मॉनसून कमजोर हो गया है और बारिश की गतिविधियां दक्षिण भारत के राज्यों में काफी कम हो गई हैं।
इस बीच हिंद महासागर में भूमध्य रेखा के पास और इससे सटे दक्षिणी पश्चिम बंगाल की खाड़ी पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना था जो प्रभावी होते हुए निम्न दबाव बन गया और उम्मीद है कि जल्द ही गहरे निम्न दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो जाएगा। वर्तमान वायुमंडलीय और समुद्री परिस्थितियां इस बात की तरफ संकेत कर रही हैं कि यह सिस्टम डिप्रेशन बन सकता है और प्रभावी होने की इसी प्रक्रिया के दौरान यह पश्चिमी दिशा में तमिलनाडु के तटीय भागों की तरह बढ़ता रहेगा। इसके प्रभाव से 23 और 24 नवंबर को श्रीलंका में मूसलाधार वर्षा होने की संभावना है। साथ ही उत्तर पूर्वी मॉनसून दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत पर भी प्रभावी हो जाएगा और 23 नवंबर से बारिश की गतिविधियां तमिलनाडु के तटीय भागों में व्यापक रूप में बढ़ जाएंगी।
24 और 25 नवंबर को तमिलनाडु के तटवर्ती जिलों में अधिकांश जगहों पर मूसलाधार वर्षा के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित हो सकता है। स्थानीय तौर पर बाढ़ की घटनाएं भी देखने को मिल सकती हैं। तमिलनाडु के अंदरूनी हिस्सों में भी मध्यम से तेज वर्षा की संभावना है। दक्षिणी आंध्र प्रदेश के तटीय भागों और रायलसीमा में भी 23 नवंबर से 26 नवंबर के बीच मॉनसून सर्ज एक्टिव रहेगी जिसके चलते इन भागों में कई स्थानों पर व्यापक वर्षा हो सकती है। आंध्र प्रदेश में बारिश की गतिविधियां सबसे ज्यादा 25 और 26 नवंबर को होंगे। चेन्नई और पुडुचेरी में भारी वर्षा होने की संभावना 25 और 26 नवंबर को है।
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