भारत में सबसे अधिक बारिश दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीज़न में जून से सितंबर के बीच होती है। जबकि दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में उत्तर-पूर्वी मॉनसून अक्टूबर से दिसम्बर के बीच अच्छी बारिश देता है। इसके अलावा भूमध्य सागर और कैस्पियन सागर से आने वाली नम हवाओं के चलते भी उत्तर भारत के पर्वतीय भागों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश दर्ज की जाती है। इन हवाओं को पश्चिमी विक्षोभ के नाम से जाना जाता है। पश्चिमी विक्षोभ के चलते यूं तो उत्तर भारत में कभी भी बारिश हो सकती है लेकिन अक्टूबर से फरवरी के बीच पश्चिमी विक्षोभों के आने का सिलसिला बढ़ जाता है जिससे इस दौरान अच्छी बारिश देखने को मिलती है।
पश्चिमी विक्षोभ के चलते जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के अधिकांश हिस्सों में शीत ऋतु में पहाड़ों पर अच्छी बर्फबारी जबकि निचले इलाकों में बारिश दर्ज की जाती है। इसके अलावा उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में भी इस सिस्टम के प्रभाव से बारिश के कई दौर देखने को मिलते हैं। पहाड़ों पर होने वाली बर्फबारी ही वह मुख्य कारक है जिसके चलते उत्तर से लेकर मध्य और पूर्वी भारत तक कड़ाके की ठंड पड़ती है।
पंजाब से लेकर उत्तर प्रदेश, उत्तरी राजस्थान और मध्य प्रदेश के उत्तरी हिस्सों में भी इस सिस्टम के प्रभाव से होने वाली बारिश रबी फसलों विशेषकर गेंहूँ के लिए किसी वरदान से कम नहीं होती है। इस बारिश से ना सिर्फ फसलें लहलहाती हैं बल्कि किसानों की सिंचाई की लागत कम होती है और सिंचाई के अभाव वाले क्षेत्रों में भी फसलें अच्छी होती हैं।
लेकिन इस बार जहां दक्षिण-पश्चिम मॉनसून लगभग सामान्य रहा और देश के अधिकांश हिस्सों में अच्छी बारिश से खरीफ की बेहतर पैदावार हुई वहीं उत्तर भारत के भागों में बारिश और बर्फबारी के संदर्भ में निराशा हाथ लगी है। इस बार अब तक कोई ऐसा प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में नहीं आया है जिससे पहाड़ों पर अपेक्षित बर्फ पड़ी हो या मैदानी भागों में बारिश हुई हो।
जम्मू कश्मीर के कुछ स्थानों पर दिसम्बर महीने में 50 से 100 मिलीमीटर के बीच बारिश या बर्फबारी दर्ज की जाती है लेकिन इस माह के 19 दिन बीत गए हैं और अब तक किसी भी स्थान पर 20 मिलीमीटर से अधिक वर्षा नहीं हुई है। कई इलाके तो बूंदों के लिए भी तरस गए हैं। जम्मू कश्मीर के प्रमुख स्थानों पर औसत वर्षा और 19 दिसम्बर तक दर्ज की गई वर्षा के तुलनात्मक आंकड़े नीचे देख सकते हैं:
यानि कि मैदानी इलाकों में यह सर्दी बिन बारिश बीत रही ही है। लेकिन पहाड़ों पर लगभग ना के बराबर बर्फबारी किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इस बीच एक नया पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के करीब आ रहा है, जो बहुत प्रभावी नहीं है लेकिन इसके चलते जम्मू कश्मीर के ऊंचे पहाड़ों पर एक-दो जगह हल्की वर्षा या हिमपात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
Image credit : Alchetron
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