सर्दी की शुरुआत से ही दिल्ली सहित उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में आमतौर पर धुंध, कुहासा, ओस जैसी स्थिति वातावरण में देखने को मिलती है। यही वो समय होता है जब दीपावली का पर्व मनाया जाता है। दीपावली में होने वाली आतिशबाज़ी धुंध के प्रभाव को और बढ़ा देती है। इस समय दिल्ली की हवा में प्रदूषण बहुत अधिक है। हवा की गुणवत्ता पर नज़र रखने वाली सरकारी संस्था सफर के अनुसार आज पर्टिकुलेट मैटर यानि पीएम 10 का स्तर 458 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर और पीएम 2.5 का स्तर 333 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर है।
धीरे-धीरे इसमें कमी आने की संभावना है। बुधवार को पीएम 10 का स्तर घटकर 356 पर और पीएम 2.5 का स्तर कम होकर 247 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर पर आ जाएगा। इसी तरह 03 नवंबर को पीएम 10 का स्तर 315 जबकि पीएम 2.5 का स्तर 204 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर पर आ जाएगा। इतनी कमी के बावजूद प्रदूषण के इन दोनों मापदण्डों के स्तर को सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। पीएम 10 शून्य से 100 के बीच और पीएम 2.5 शून्य से 60 के बीच ही स्वस्थ्य के लिहाज से बेहतर होता है।
हालांकि राहत की बात है यह कि अगले 2-3 दिनों तक प्रदूषण परेशान भले ही करता रहेगा लेकिन उसके बाद इसमें कमी आएगी। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार एक नया पश्चिमी विक्षोभ 4 नवंबर को उत्तर भारत के पर्वतीय भागों को प्रभावित कर सकता है। इस आगामी सिस्टम के आगे बढ़ने के साथ ही इस समय मंद पड़ गई उत्तर-पश्चिमी हवाओं का प्रवाह बढ़ जाएगा।
दिल्ली सहित इसके आसपास के शहरों और उत्तर पश्चिम भारत के अन्य राज्यों में जैसे ही शुष्क हवाओं का प्रवाह बढ़ेगा, प्रदूषण के स्तर में कमी देखने को मिलेगी और आप राहत की सांस ले सकेंगे। हवाओं की गति बदलने से ना सिर्फ हवा स्वच्छ होगी बल्कि मौसम में ठंडक और बढ़ जाएगी।
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