दिल्ली में धीरे-धीरे सर्दियों का प्रभाव बढ़ रहा है। दिल्ली वाले जिसके इंतज़ार में भी हैं क्योंकि बीते वर्ष में दिल्ली जिस सर्दी के लिए मशहूर है उससे महरूम रह गई थी। धीरे-धीरे पाँव पसार रही सर्दी का प्रभाव बृहस्पतिवार को सबसे अधिक इसलिए दिखा क्योंकि अचानक न्यूनतम तापमान कम होते हुए 11 डिग्री सेल्सियस पर जा पहुंचा, जो इस सीजन का सबसे कम न्यूनतम तापमान है। साथ ही यह सामान्य से 2 डिग्री कम भी है।
स्काइमेट के अनुसार तापमान में यह गिरावट बीते 2 दिनों के दौरान धुंध और कुहासा घटने के चलते हुई है। धुंध और कुहासे के रूप में प्रदूषण ग्रीन हाऊस गैस की तरह काम कर रहा था जो धरती की ऊष्मा को ऊपर जाने से रोक रहा था।
जब आसमान साफ नहीं होता यानि जब वायुमंडल में प्रदूषण की परत बनी रहती है तब पृथ्वी से निकलने वाली लॉन्गवेब रेडिएशन को ऊपर जाने में बाधा आती है इसलिए तापमान में गर्मी बनी रहती है। साथ ही यह रेडिएशन धरती और प्रदूषण की परत के बीच बनी रह जाती है परिणामस्वरूप तापमान में बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है।
इस समय एक नया पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर के करीब आता दिखाई दे रहा है जो पश्चिमी हिमालयी भागों को अगले 24 घंटों के पश्चात प्रभावित करना शुरू कर सकता है। इसके चलते हिमालयी भागों में वर्षा और हिमपात होने के आसार हैं। हालांकि उत्तरी पंजाब को छोडकर शेष मैदानी राज्यों में यह बारिश जैसी गतिविधि नहीं देने वाला है।
हालांकि इसके आने से उत्तर भारत के मैदानी भागों विशेषकर हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भागों में शीतल और शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाओं के पहुँचने में बाधा आएगी। जिससे दक्षिण-पश्चिमी या दक्षिण-पूर्वी हवाओं का प्रवाह बढ़ने की संभावना है। हवाओं में इस बदलाव से एक बार फिर से अगले 48 घंटों के दौरान न्यूनतम तापमान में 1-2 डिग्री सेलिसयस की बढ़ोत्तरी दर्ज की जा सकती है।
हालांकि जैसे ही पश्चिमी विक्षोभ पूर्वी दिशा में आगे निकल जाएगा, 13 नवंबर से एक बार फिर तापमान में गिरावट का क्रम शुरू होगा। और इस बार गिरावट कुछ अधिक ही होगी क्योंकि उत्तर और उत्तर-पश्चिम में ताज़ा बर्फबारी के बाद यह हवाएँ मैदानी क्षेत्रों तक पहुंचेगी, जो बेहद ठंडी होंगी। दिल्ली सहित उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों को अब अपने सर्दियों के कपड़े निकाल लेने की ज़रूरत है क्योंकि अगले 3-4 दिनों के बाद ठंड में इजाफा होगा।
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