उत्तर-पश्चिम भारत के भागों में अक्टूबर में न्यूनतम तापमान आमतौर पर 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। महीने एक आखिर में इसमें धीरे-धीरे 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की जाती है। हालांकि इस बार मौसम कुछ अलग ही अंदाज़ दिखा रहा है। इस वर्ष के अक्टूबर के पहले पखवाड़े में ही तापमान में व्यापक गिरावट देखने को मिली। पारा गिरने से उत्तर भारत के मैदानी भागों में लोग सुबह के समय अच्छी ठंडक का अनुभव कर रहे हैं जबकि शाम के समय मौसम का खुशनुमा रूप आनंदित कर रहा है।
उदाहरण के लिए दिल्ली और हरियाणा का तापमान देख सकते हैं जहां न्यूनतम तापमान 15 और 16 अक्टूबर को गिरकर 17 डिग्री सेल्सियस के स्तर पर आ गया था। इसी तरह मध्य भारत के कई भागों विशेषकर दक्षिण-पूर्वी मध्य प्रदेश और उससे सटे महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में न्यूनतम तापमान 12 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच रिकॉर्ड किया जा रहा है। स्काइमेट के अनुसार तापमान में तेज़ी से आई इस गिरावट का कारण हैं उत्तर और उत्तर-पश्चिम से आने वाली ठंडी और शुष्क हवाएँ।
उत्तर भारत को आमतौर पर अक्टूबर से ही पश्चिम में स्थित कैस्पियन सागर से उठने वाले मौसमी सिस्टम प्रभावित करने लगते हैं। इन सिस्टमों को हम पश्चिमी विक्षोभ के नाम से जानते हैं। पश्चिमी विक्षोभ का उत्तर भारत में आने का क्रम अक्टूबर से शुरू होकर मार्च तक और कभी-कभी अप्रैल तक चलता रहता है। इस सिस्टम के उत्तर भारत में आने के कारण उत्तर-पश्चिमी हवाओं के प्रवाह में बाधा आती है। ऐसे में पश्चिमी या उत्तर-पश्चिमी हवाओं के बदले पूर्वी हवाएँ चलने लगती हैं और तापमान 20 डिग्री से नीचे नहीं जा पता।
जबकि इस वर्ष अब तक कोई प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ जम्मू कश्मीर के पास नहीं आया है। हालांकि 1-2 कमजोर सिस्टम आए ज़रूर हैं लेकिन यह अपना प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे। यही नहीं आने वाले दिनों में भी जल्द कोई प्रभावी मौसमी सिस्टम पश्चिमी हिमालयी भागों को प्रभावित करेगा इसकी भी संभावना कम दिखाई दे रही है। जिससे उत्तर भारत से लेकर मध्य और पूर्वी भागों तक उत्तर-पश्चिमी शुष्क एवं शीतल हवाओं का प्रवाह जारी रहेगा, परिणामस्वरूप तापमान में हल्की गिरावट के साथ सुबह और रात में ठंडक बनी रहने की संभावना है।
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