भारत के दोनों तरफ समुद्री क्षेत्र हैं। एक तरफ बंगाल की खाड़ी और दूसरी ओर अरब सागर। इन दोनों क्षेत्रों में इतनी क्षमता है कि प्रायः चक्रवाती तूफान यहां से उठते हैं और कई बार भारत को तो कई बार हिंद प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों को प्रभावित करते हैं।
इन दोनों समुद्री क्षेत्रों में ज्यादा तूफान बंगाल की खाड़ी में उठते हैं। दोनों ही क्षेत्रों में उठने वाले तूफानों का इतिहास देखें तो इनका बहुत सटीक रुख नहीं रहता। लेकिन तीन-चार महीनों के प्री-मॉनसून सीजन में दोनों ही क्षेत्रों में प्रायः दो या दो से अधिक तूफान बनते हैं। लेकिन कई बार ऐसी चौंकाने वाली स्थितियां भी बनती है जब ना तो बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान बने और ना ही अरब सागर में।
बंगाल की खाड़ी में तबाही के तूफान
पिछले 10 वर्षों में 2011 और 2012 में प्री-मॉनसून सीजन में दोनों ही क्षेत्रों में समुद्री तूफान विकसित नहीं हुए। वहीं 2019 और 2020 ऐसे वर्ष हैं जब प्री-मॉनसून सीजन में बंगाल की खाड़ी में बेहद शक्तिशाली तूफान विकसित हुए। इसी भी अलग स्थितियाँ 2017 में रहीं जब अप्रैल और मई में एक के बाद एक पहले मरूथा और उसके बाद मोरा तूफान विकसित हुए थे। 2016 में चक्रवाती तूफान रोनू आया था। इसमें मरुथा और मोरा बहुत अधिक क्षमता वाले तूफान नहीं थे। यह महज दो दिनों तक चक्रवाती तूफान या भीषण चक्रवाती तूफान की क्षमता में रहे।
वर्ष 2017 में आया चक्रवाती तूफान रोनू 19 से 23 मई के बीच प्रभावी होने के बाद कमजोर हुआ और फिर से प्रभावी होकर तूफान की क्षमता में आ गया। इन तीनों तूफानों में कोई भी ना तो भारत के तटों से टकराया और ना ही बांग्लादेश या म्यामार गया। वहीं 2019 में आए फानी और 2020 में हाल ही में आए चक्रवाती तूफान अंपन ने भारत के कई इलाकों में तबाही के निशान छोड़े।
2019 में फानी लेकर आया था आपदा
तूफान फानी कैटेगरी 4 का यानी अति भीषण चक्रवाती तूफान की केटेगरी का था। यह काफी लंबे समय (26 अप्रैल से 5 मई) तक सक्रिय रहा। 1999 के बाद ओडिशा में आने वाला यह सबसे भीषण तूफान था। इस तूफान की क्षमता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 1 मिनट के लिए हवा की रफ्तार 250 किलोमीटर प्रति घंटे तक चली जाती थी और वहीं 3 मिनट ली औसत रफ्तार 185 किलोमीटर प्रति घंटा थी।
हालांकि तट से टकराने से पहले यह कुछ कमजोर हुआ था। ओडिशा में पुरी के आसपास 3 मई को यह अति भीषण चक्रवाती तूफान की क्षमता में टकराया था। ओडिशा पर ही इसने अपनी दिशा बदली और कोलकाता के उत्तर से चक्रवाती तूफान की क्षमता में आगे बढ़ा था। तूफान फानी बांग्लादेश में डिप्रेशन की क्षमता में पहुंचा था। फानी ने कोलकाता में 24 घंटों में 66 मिलीमीटर की भीषण बारिश दी थी।
तूफान ‘अंपन’ था सुपर साइक्लोन
तूफान अंपन अत्यंत भीषण समुद्री तूफान था। यह सुपर साइक्लोन (कैटेगरी-5) की क्षमता में भी आया। यह 1999 के बाद भारत के पूर्वी तटों से टकराने वाला सबसे भयानक तूफान था। यह पूरी दुनिया में वर्ष 2020 में अब तक का दूसरा भीषणतम तूफान था।
अंपन के विकसित होने की शुरुआत 13 मई को हुई जब बंगाल की खाड़ी पर एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना। 16 मई को यह तूफान की क्षमता में आया। यह विस्फोटक रूप से महज़ 6 घंटों में कैटेगरी-4 में पहुँच गया। लगातार प्रभावित होते हुए 18 मई को अंपन सुपर साइक्लोन बना। लेकिन 20 मई को पश्चिम बंगाल में बख्खाली के पास टकराने से पहले यह कुछ कमजोर हो गया था।
कोलकाता ने देखी सबसे बड़ी त्रासदी
इतिहास में इसे कोलकाता में तबाही मचाने के लिए याद रखा जाएगा। इससे पहले तक कोलकता को किसी भी तूफान ने इतनी बड़ी त्रासदी नहीं दी थी। अंपन अपने साथ 133 किलोमीटर से भी ज़्यादा रफ़्तार की हवा और ज़बरदस्त बारिश लेकर कोलकाता पहुंचा था। हजारों की संख्या में पेड़ अपनी जगह से उखड़ गए, बिजली के खंबे, कच्चे घर, झोपड़े सब तबाह हो गए थे। कुछ इलाकों में बाढ़ आ गई थी। अंपन ने तकरीबन 80 लोगों की जान ले ली थी और बड़े पैमाने पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। प्रधानमंत्री ने नुकसान से उबरने के लिए ओडिशा को 500 करोड़ रुपये जबकि पश्चिम बंगाल के लिए 1000 करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
Image credit: Inventia
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