सितम्बर की शुरुआत से ही देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून वापसी के चरण में पहुँच जाता है। मौसमी परिदृश्य भी संकेत देने लगा है कि देश के पश्चिमी भागों से मॉनसून की वापसी के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल हैं। स्काइमेट के अनुसार मॉनसून की वापसी की घोषणा 3 निश्चित मानदंडों के पूरा होने पर की जाती है। जब लगातार 5 दिनों तक बारिश ना हो, ऊपरी हवाओं में एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन यानि विपरीत चक्र चलना शुरू हो जाए और वातावरण में आर्द्रता में गिरावट आ जाए, तब माना जाता है कि मॉनसून लौट रहा है।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी की शुरुआत पश्चिमी राजस्थान से होती है। जबकि यहाँ मॉनसून पहुंचता भी देरी से है। इस समय सिर्फ पहला मापदंड पूरा हो रहा है क्योंकि बीते कई दिनों से पश्चिमी राजस्थान में बारिश नहीं हो रही है। लेकिन राजस्थान के कई भागों में अभी भी दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ चल रही हैं। विशेषकर दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों में दक्षिण और पश्चिम से अपेक्षाकृत आर्द्र हवाएँ आ रही हैं। इसके चलते इन भागों के वातावरण में अधिक नमी अभी भी बनी हुई है। इसके अलावा गुजरात पर एक नया चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी विकसित हो गया है।
इसके चलते इन भागों में अगले कुछ दिनों तक दक्षिण-पश्चिमी हवाओं का प्रवाह बना रहेगा। अलावा पश्चिमी राजस्थान और उससे सटे पाकिस्तान के हिस्सों पर एंटी साइक्लोन के विकसित होने तक हमें प्रतीक्षा भी करनी होगी। यानि कि मॉनसून की वापसी के लिए जिम्मेदार 3 पहलुओं में सिर्फ एक पहलू फिलहाल सकारात्मक है जबकि 2 पहलू अभी मॉनसून की वापसी के संकेत नहीं दे रहे हैं। वेदर मॉडलों के अनुसार अगले सप्ताह से बाकी दोनों स्थितियाँ भी अनुकूल दिखाई देने लगेंगी और उसके पश्चात मॉनसून की वापसी घोषित की जाएगी। भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी की सामान्य तिथी 1 सितंबर है लेकिन हर वर्ष इसकी वापसी का समय आमतौर पर अलग-अलग रहता है।
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