मॉनसून के आगमन से लेकर अब तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मूसलाधार बारिश की झड़ी नहीं लगी है। मॉनसून की अक्षीय रेखा कई बार दिल्ली और इसके आसपास जरूर पहुंची लेकिन बारिश की गतिविधियां बहुत अधिक नहीं बढ़ी।
इससे पहले गुजरात के ऊपर एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना था जिसके कारण मॉनसून रेखा गुजरात पर पहुंच गई थी। हालांकि इस दौरान भी बंगाल की खाड़ी से आर्द्र हवाएं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर के क्षेत्रों पर पहुंच रही थी। बादल भी बने थे लेकिन बीते दो-तीन दिनों में यह बादल बारिश देने में नाकाम रहे।
अब ट्रफ उत्तर की तरफ बढ़ रही है और जल्द ही यह पंजाब और हरियाणा को पार करते हुए हिमालय के तराई क्षेत्र में आ जाएगी। इसके चलते उम्मीद है कि मॉनसून वर्षा का अधिक ज़ोर आने वाले दिनों में हिमालय के तराई क्षेत्रों में ही देखने को मिलेगा। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के क्षेत्रों के साथ-साथ उतरी पंजाब और उत्तरी हरियाणा में वर्षा हो सकती है। इसके अलावा बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में बारिश मूसलाधार हो सकती है।
दूसरी तरफ इस दौरान दिल्ली, दक्षिणी, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के भागों में हवाओं का रुख बदलकर पश्चिमी हो जाएगा जिसके कारण भागों में बादल भी कम होंगे। उमस भी कम होगी और बारिश की संभावना कम से कम 15 जुलाई तक बहुत कम रहेगी।
मॉनसून ट्रफ के हिमालय की तराई क्षेत्र में जाने और देश के अन्य भागों पर किसी प्रभावी मौसमी सिस्टम के न होने को मॉनसून में ब्रेक की कंडीशन माना जाता है। इस समय देश में मॉनसून में ब्रेक जैसी स्थितियां बन रही है। मॉनसून में ब्रेक की कंडीशन उसे कहते हैं जब उत्तर पश्चिम भारत के साथ-साथ मध्य भारत के भागों में बारिश बहुत कम हो जाती है और दिल्ली एनसीआर समेत उत्तर भारत के मैदानी और मध्य भारत के राज्यों में पश्चिमी तथा दक्षिण पश्चिमी दिशा से शुष्क हवाएं चलने लगती है। इस बदलाव से तापमान भी ऊपर जाता है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों का आकलन है कि दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और आसपास के हिस्सों में 10 से 15 जुलाई के बीच मौसम शुष्क रहने की संभावना है। इन भागों में इन दिनों बारिश की संभावना बहुत कम रहेगी। यह कह सकते हैं कि दिल्ली के लोगों को मॉनसून लंबी प्रतीक्षा करा रहा है और यह प्रतीक्षा कम से कम 1 सप्ताह तक खत्म होने वाली नहीं है।
हालांकि इस दौरान देश की राजधानी और उत्तर भारत के अन्य मैदानी क्षेत्रों में स्थानीय तौर पर गरज वाले बादल विकसित होने और छिटपुट वर्षा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
Image Credit: The Statesman
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