[Hindi] सितंबर के पहले पखवाड़े में देश भर में सुस्त रहेगा मॉनसून

September 5, 2017 6:30 PM|

Rain and weather in Indiaसितंबर के शुरुआती दो दिनों के बाद से दक्षिण पश्चिम मॉनसून समूचे देश में सुस्त हो गया है। इससे पहले अगस्त में कुछ इलाकों में भारी मॉनसून वर्षा दर्ज की गई। सितंबर का पहला पखवाड़ा देश भर में सूखा रह सकता है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अगस्त में भारत के कुछ इलाकों में मॉनसून जमकर बरसा।

अगस्त में ओड़ीशा, मध्य प्रदेश, विदर्भ, तेलंगाना, कोंकण गोवा, गुजरात और दक्षिणी राजस्थान में भारी मॉनसून वर्षा हुई। उत्तर प्रदेश और बिहार सहित कई अन्य भागों में भी मॉनसून सक्रिय रहा। जुलाई में उत्तर प्रदेश, बिहार और असम शुरू हुआ बाढ़ का सिलसिला भारी बारिश के चलते अगस्त में भी जारी रहा। अगस्त में मुंबई सहित कोंकण गोवा क्षेत्र में भीषण वर्षा दर्ज की गई। मुंबई में 29 अगस्त की भीषण वर्षा के कारण 12 लोगों की मौत हो गई।

अब मॉनसून अपने आखिरी चरण में है और ऐसे में मॉनसून के प्रदर्शन का ज़िक्र करें तो सितंबर के पहले पखवाड़े में देश भर में विशेष बारिश की संभावना नहीं है। स्काइमेट के प्रमुख मौसम वैज्ञानिक महेश पालावत के अनुसार दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में रुक-रुक कर वर्षा जारी रहेगी लेकिन मूसलधार वर्षा जल्द देखने को नहीं मिलेगी।

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बारिश में इस कमी का कारण यह है कि अगले कुछ दिनों तक सक्रिय सिस्टम बनने की संभावना दिखाई नहीं दे रही है। इसके अलावा उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में सबसे अधिक मॉनसून वर्षा देने वाला मौसमी सिस्टम यानि मॉनसून की अक्षीय रेखा भी हिमालय के तराई क्षेत्रों में बनी हुई है, जो अगले कुछ दिनों अपने स्थान पर ही रहेगी।

इस परिदृश्य के बीच उत्तर-पश्चिमी शुष्क हवाएँ देश के मैदानी भागों में चल रही हैं। आने वाले दिनों में भी ऐसे ही मौसम की उम्मीद की जा रही है। हालांकि कहीं-कहीं गरज वाले बादल बन सकते हैं और छिटपुट जगहों पर हल्की बारिश हो सकती है लेकिन यह बारिश थोड़े समय के लिए होगी जिससे इसका मौसम पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। देश भर में गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।

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मॉनसून की अक्षीय रेखा जब भी लंबे समय के लिए हिमालय के तराई क्षेत्रों में चली जाती है और उसे किसी अन्य मौसमी सिस्टम का साथ नहीं मिल पाता तब उस स्थिति में बारिश अधिकांश इलाकों में देखने को नहीं मिलती और मॉनसून में एक तरह का ब्रेक लग जाता है।

Image Credit: BBC

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