राजस्थान सहित समूचे उत्तर भारत से मॉनसून वापस लौट चुका है। उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ भागों पर भी मॉनसूनी हवाएँ चलना बंद हो गई हैं। उत्तर भारत के भागों को 2015 के मॉनसून में क्या मिला इसका हिसाब किताब अगर देखें तो इस क्षेत्र में मॉनसून की बेरुखी सबसे अधिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए रही। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से 42% कम वर्षा हुई। इसके बाद हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश का नंबर आता है। हरियाणा में 1 जून से 29 सितंबर तक की मॉनसूनी अवधि में सामान्य से 36% कम वर्षा हुई, पंजाब में 31% कम, उत्तराखंड में 28% और हिमाचल प्रदेश में 22% बारिश कम हुई है।
उत्तर भारत में कमजोर मॉनसून के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में खरीफ फसल को नुकसान पहुंचा है। हालांकि जिस अनुपात में बारिश की मात्रा कम रही नुकसान का अनुपात उससे कम है। इसकी वजह है कि इन भागों में बीच बीच में बारिश की हल्की फुहारें पड़ती रहीं। जिससे मिट्टी और हवाओं में नमीं ने फसलों को सूखने से बचाया हालांकि इन भागों में किसान कृत्रिम सिंचाई के भरोसे ही रहे।
पूर्वी तटों पर दक्षिण भारत में बारिश
जहां उत्तर भारत से मॉनसून लौट चला है वहीं देश के पूर्वी तटीय भागों और दक्षिणी राज्यों में अच्छी बारिश का एक नया दौर आने वाला है। उत्तरी अंडमान सागर में एक चक्रवाती हवा का क्षेत्र बना हुआ है। यह जल्द ही सशक्त होते हुए निम्न दबाव का रूप ले लेगा। इसके प्रभाव से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र वाले द्वीपों पर अच्छी बारिश होने की संभावना है। कहीं-कहीं भारी बारिश भी हो सकती है।
यह सिस्टम धीरे-धीरे और प्रभावी होते हुये गहरे निम्न दबाव का रूप ले सकता है। भारत के पूर्वी तटीय भागों के पास यह 1 या 2 अक्तूबर को पहुँच सकता है। बाद में यह गहरा निम्न दबाव का क्षेत्र और प्रभावी होकर डिप्रेशन बन सकता है। डिप्रेशन बनने के साथ यह 2 अक्तूबर को तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, तेलंगाना के कुछ हिस्सों और उत्तरी तमिलनाडु में बारिश देगा। आंध्र प्रदेश और ओड़ीशा में 3 और 4 अक्तूबर को अच्छी बारिश होने की संभावना है। इस मौसमी हलचल के प्रभाव से 3 से 5 अक्तूबर के बीच विदर्भ, छत्तीसगढ़ और पूर्वी मध्य प्रदेश में भी बारिश दर्ज की जा सकती है।
हालांकि पूर्वी तटीय भागों और दक्षिणी राज्यों में बारिश के इस दौर से देश में मॉनसूनी बारिश के आंकड़ों में सुधार नहीं होने वाला क्योंकि जब तक इसके प्रभाव से बारिश शुरू होगी तब तक (30 सितंबर) दक्षिण पश्चिम मॉनसून समाप्त हो चुका होगा।
Image Credit: IndiaTV