स्काइमेट के अनुमान के मुताबिक ही दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून सामान्य से 4 दिन पहले 16 मई को ही अंडमान व निकोबार द्वीप पर पहुँच गया है। मॉनसून की उत्तरी सीमा इस समय 5°N और 86°E, 10°N तथा 90°E से होकर गुजर रही है।
केरल में मॉनसून की शुरुआत
श्रीलंका होते हुये बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए स्थितियाँ अनुकूल हैं। वर्तमान स्थिति से आगे निकलकर केरल पहुँचने में मॉनसून को लगभग 8 से 10 दिन लग जायेंगे। इसका अर्थ हुआ कि यह 1 जून के सामान्य समय से 3-4 दिन पहले केरल पहुँच जाएगा, जो कि स्काइमेट के मॉनसून फोरशैडो 2015 में जताए गए अनुमान को पुष्ट करता है।
पश्चिमी प्रशांत महासागर में आने वाले तूफान और इनके प्रभाव
मॉनसून को आगे बढ़ाने में चक्रवाती हवाएँ, निम्न दबाव का क्षेत्र और डिप्रेशन जैसे तमाम मौसमी बदलाव मदद करते हैं। दक्षिणी चीन सागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर में इस समय आमतौर पर तूफान आते रहते हैं। प्रशांत महासागर या चीन सागर में अगर कोई शक्तिशाली मौसम बनता है तो वह बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती हवाएँ विकसित होने में बाधा खड़ी करता है।
हालांकि यही मौसमी बदलाव हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर पर हवा के प्रवाह को संचालित करते हैं, जिससे मॉनसून की क्षमता बढ़ जाती है। इस समय डॉल्फ़िन तूफान पश्चिमी प्रशांत महासागर को पार करते हुए नाउल के विपरीत वहीं से वापस मुड़ते हुये जापान के आगे निकल रहा है। गौरतलब है कि फिलीपीन्स और जापान में नाउल के कारण भारी वर्षा हुई थी।
तूफान डॉल्फ़िन ने मॉनसून को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका अदा की है। यह तूफान इस समय काफी ऊपर से आगे निकल रहा है, जिससे अगले 3-4 दिनों के दौरान म्यांमार, बांग्लादेश और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में, विशेषकर तटीय क्षेत्रों में अनेक स्थानों पर बारिश होने के आसार हैं। इन भागों में एक-दो स्थानों पर मूसलाधार बारिश भी हो सकती है।