दिल्ली में बीते 2-3 दिनों से मौसम बेहद गर्म और उमस भरा हो रहा है। इस दौरान छिटपुट जगहों पर धूलभरी आँधी और बादलों की गर्जना जैसी मौसमी गतिविधियां देखने को मिलीं, साथ ही राजधानी और आसपास के भागों में वातावरण में नमी भी बढ़ गई है। इस मौसमी परिदृश्य को मॉनसून के आगमन के पूर्व की स्थिति समझा जाता है। हालांकि इससे तापमान में बिल्कुल कमी नहीं हुई और गर्मी से राहत नहीं मिली।
मॉनसून के आगमन के पहले प्रायः तापमान नीचे जाता है लेकिन यहाँ कुछ विरोधाभास बना हुआ है और पारा अभी भी काफी अधिक रिकॉर्ड किया जा रहा है। इस समय अधिकतम तापमान लगभग 39 डिग्री सेलिसयस के आसपास दर्ज किया जा रहा है। यह भी एक तथ्यपरक बात है कि जून का औसत तापमान 39 डिग्री सेल्सियस ही है लेकिन महीने के अंत तक आते आते इसमें गिरावट शुरू हो जाती है।
तापमान के रुख को नज़रअंदाज़ करें तो मॉनसून के जल्द ही आने के लिए अन्य स्थितियाँ अनुकूल दिखाई दे रही हैं। स्काइमेट ने इससे पहले 1 जुलाई तक दिल्ली में मॉनसून के आने की संभावना जताई थी। दिल्ली में मॉनसून के आगमन की सामान्य समय सीमा 29 जून है। स्काइमेट के संशोधित अनुमान के अनुसार राजधानी में 30 जून को मॉनसून का आगमन हो सकता है।
बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। संभावना है कि इसके प्रभाव से अगले 48 घंटों के दौरान आर्द्र हवाओं का प्रवाह बढ़ने से नमी में इजाफ़ा होगा लेकिन इस दौरान विशेष बारिश होने के आसार कम हैं। हमारा अनुमान है कि 29 जून के बाद से बारिश के दायरे और इसकी मात्रा में वृद्धि देखने को मिलेगी। तापमान में भी कमी आएगी जिससे मॉनसून के आगमन का रास्ता साफ़ होगा।
इस वर्ष जून माह दिल्ली के लिए लगभग सूखा ही रहा। दिल्ली में 1 जून से अब तक महज़ 16.7 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है जबकि जून में यहाँ औसतन 82.2 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की जाती है। बीते वर्ष में भी जून महीना दिल्ली के लिए सूखा बीता था। इससे भी पहले अल नीनो के प्रभाव के समाप्त होने के बावजूद वर्ष 2010 में महज़ 3.9 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई थी।
जून के आखिरी दो दिनों में राजधानी दिल्ली में अच्छी वर्षा होने की संभावना है, इसके बावजूद भी दिल्ली में औसत बारिश के आंकड़े तक पहुँचने के आसार नज़र नहीं आ रहे हैं।
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