देश में बारिश देने वाला मुख्य सीजन है मॉनसून, जो 1 जून से शुरू होता है और 30 सितंबर तक चलता है। साल 2019 में मॉनसून के आगमन और इसकी वापसी की तिथियों में संशोधन किया गया था। उससे पहले मॉनसून की वापसी की शुरुआत समान्यतः 1 सितंबर को होती थी। इसे बढ़ाकर 17 सितंबर कर दिया गया। हालांकि इस साल इसमें भी 10 दिनों की देरी हुई और 28 सितंबर को मॉनसून की वापसी पश्चिमी राजस्थान से आरंभ हुई।
28 सितंबर को राजस्थान के पश्चिमी भागों के साथ साथ-साथ पश्चिमी पंजाब से भी मॉनसून वापस लौटा। उसके बाद 6 अक्टूबर तक बहुत तेज़ गति से यह पीछे लौटा। लेकिन उसके बाद बंगाल की खाड़ी में मौसमी सिस्टम उठने लगे। एक के बाद एक उठने वाले इन्हीं सिस्टमों के प्रभाव से मॉनसून की वापसी में ब्रेक लग गई। खाड़ी में बनने वाले मौसमी सिस्टमों के चलते देश के मध्य और पूर्वी तथा दक्षिणी क्षेत्रों में रुक-रुक कर लगातार बारिश होती रही और बंगाल की खाड़ी से पूर्वी और आर्द्र हवाएँ देश के इन भागों पर लगातार चलती रहीं।
6 अक्टूबर के बाद 15 दिनों के अंतराल पर, कल यानी 21 अक्टूबर को फिर से मॉनसून वापसी की राह पर आगे बढ़ा और यह पूर्वी तथा पूर्वोत्तर भारत के कई क्षेत्रों के साथ मध्य भारत के कुछ और हिस्सों से अलविदा कह गया। मॉनसून की वापसी की सीमा आज सुबह तक कूचबिहार, शांतिनिकेतन, रांची, पेंड्रा रोड, मांडला, नरसिंहपुर, इंदौर, वल्लभ विद्यानगर और पोरबंदर में है। वर्तमान मौसम की स्थिति को देखते हुए यह अनुमान लगा सकते हैं कि अगले दो-तीन दिनों के भीतर समूचे भारत से देश का मुख्य मॉनसून वापस लौट जाएगा। 27 या 28 अक्टूबर के आसपास मध्य भारत पर एक विपरीत चक्रवाती क्षेत्र विकसित हो सकता है जिसके प्रभाव से बंगाल की खाड़ी में उत्तर पूर्वी हवाएं स्थायी रूप से चलने लगेंगी।
English Version: Southwest Monsoon will soon bid adieu paving way for Northeast Monsoon
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आमतौर पर 15 अक्टूबर के आसपास या उससे पहले ही देश के सभी क्षेत्रों से वापस लौट जाता है और 20 अक्टूबर के आसपास उत्तर-पूर्वी मॉनसून दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत पर दस्तक दे देता है। दक्षिण पश्चिम मॉनसून की तुलना में उत्तर-पूर्वी मॉनसून बहुत सीमित क्षेत्रों को प्रभावित करता है।
उत्तर-पूर्वी मॉनसून दक्षिण भारत के महज 5 मौसमी उप-संभाग को ही बारिश देता है, जो निम्नलिखित हैं:
- तमिलनाडु, पुदुचेरी और कराईकल
- केरल और माहे
- तटीय आंध्र प्रदेश और यानम
- रायलअसीमा
- दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक
उत्तर-पूर्वी मॉनसून के आगमन की घोषणा के लिए सबसे महत्वपूर्ण मापदंड है, तमिलनाडु के तटीय भागों पर सतह से 5000 फीट की ऊंचाई के बीच स्थाई रूप से उत्तर पूर्वी हवाओं का लगातार चलना और अनुमान है कि 27-28 अक्टूबर तक यह मापदंड यहां पूरा हो जाएगा जिससे उत्तर-पूर्वी मॉनसून के आगमन की घोषणा की जा सकेगी।
Image Credit: DNA India
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