अपने वापसी के दौर में मॉनसून ने बीते एक सप्ताह में देश के अधिकांश हिस्सों में अच्छी बारिश दी है। पिछले सप्ताह में ओड़ीशा, महाराष्ट्र, केरल, गुजरात और राजस्थान में घने बादलों के बीच अच्छी मॉनसूनी बारिश दर्ज की गई जिससे लंबे समय से चल रहे गर्म और शुष्क मौसम से राहत मिलने के साथ-साथ इन भागों में पानी की कमी का संकट भी कम हुआ है।
इस दौरान बारिश की शुरूआत मध्य और प्रायद्वीपीय भारत से हुई और धीरे-धीरे मॉनसूनी बौछारों ने उत्तर भारत को भी भिगोया। इन भागों में 3-4 दिनों तक बारिश का दौर जारी रहा जिससे मध्य भारत से लेकर उत्तरी राज्यों तक मौसम सुहावना हो गया है। उत्तर भारत में अगले 24-48 घंटों तक मॉनसूनी बौछारों का दौर जारी रहने की संभावना है, उसके बाद यहाँ बारिश कम हो जाएगी। हालांकि देश के पूर्वोत्तर भागों में दक्षिण पश्चिम मॉनसून कुछ और दिनों तक जारी रह सकता है।
बारिश का यह बहुप्रतीक्षित दौर बंगाल की खाड़ी में बने मौसमी सिस्टमों की देन था। पहला सिस्टम बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव के रूप में उठा और इसने शुरुआत में उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश, ओड़ीशा और छत्तीसगढ़ को भिगोया। पश्चिम दिशा में बढ़ते हुये यह मध्य भारत के भागों पर 17 सितंबर को पहुंचा जहां यह और प्रभावी होकर डिप्रेशन बन गया। मध्य भारत के ऊपर डिप्रेशन बनने के बाद विदर्भ, मध्य महाराष्ट्र और गुजरात में भारी मॉनसूनी बारिश दर्ज की गई। गुजरात के ऊपर पहुँचने के बाद इसका रूख उत्तर-पूर्वी हुआ जिससे लंबे इंतज़ार के बाद राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में भी बारिश हुई।
बाद में बंगाल की खाड़ी में एक नया निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित हुआ जिसके प्रभाव से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश देखने को मिली।
मॉनसून में आए इस सकारात्मक बदलाव से हुई बारिश ने दलहन और धान की फसल को व्यापक रूप से लाभ पहुंचाया, जो लंबे समय से शुष्क मौसम के चलते खराब हो रही थीं। सितंबर माह शुरुआत से मध्य तक मॉनसून के प्रदर्शन के लिहाज़ से किसानों के लिए अच्छा नहीं रहा।
बारिश में कमी के आंकड़ों में सुधार
बीते कुछ दिनों के बारिश के दौर से बारिश में कमी के आंकड़ों में व्यापक सुधार आया है। मध्य भारत में इससे पहले औसत से 20% कम बारिश हुई थी जहां अब बारिश में कमी का आंकड़ा 13% पर आ गया है। सौराष्ट्र और कच्छ में औसत से 5% कम बारिश थी जहां बीते कुछ दिनों की भारी बौछारों के चलते सामान्य से 7% अधिक बारिश हो चुकी है। दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में भी बारिश में कमी के आंकड़ों में अच्छा सुधार देखने को मिला है।
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