बिहार के तराई क्षेत्रों और नेपाल में लगातार हो रही मूसलाधार वर्षा के कारण बिहार के अनेक जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। गंडक नदी के खतरे के निशान से ऊपर बहने के कारण गोपालगंज जिले में स्थितियां गंभीर हैं। बाढ़ से बिहार में सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में गोपालगंज के अलावा खगड़िया, सुपौल, दरभंगा, सीतामढ़ी, मुंगेर, छपरा, मधुबनी, मधेपुरा और मुजफ्फरपुर हैं।
सुपौल में भी कोसी नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जबकि दरभंगा में बागमती उफान पर है और खतरे के निशान को पार कर चुकी है। कमला नदी भी अपनी सीमाओं को तोड़ते हुए खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई है। मूसलाधार बारिश, नदियों में उफान, बाढ़ और जलभराव के कारण बिहार में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। मूसलाधार वर्षा के साथ कई इलाकों में वज्रपात की घटनाओं से भी जान और माल को नुकसान पहुंचा है।
बिहार में जुलाई में मॉनसून ढाया है कहर
बिहार में जुलाई की शुरुआत से ही मॉनसून का उग्र प्रदर्शन देखने को मिल रहा है और इसके चलते आई बाढ़ और अत्यधिक बारिश के कारण उत्तरी और पूर्वी बिहार के कई जिलों में फसलें तबाह हो गई हैं। जगह-जगह पानी भरे होने के कारण जल जनित बीमारियों का संकट भी बढ़ता जा रहा है और पीने के पानी की किल्लत बिहार के कई जिलों में देखने को मिल रही है। जरूरी खाद्य वस्तुएं भी तमाम इलाकों में नहीं पहुंच पा रही हैं।
जुलाई के आखिर तक भारी बारिश का ख़तरा
मॉनसून की अक्षीय रेखा इस समय बिहार के पास से गुजर रही है। इसके चलते हमें आशंका है कि बिहार के कई जिलों में 22 जुलाई तक मूसलाधार मॉनसून वर्षा लगातार होती रहेगी। 23 जुलाई बारिश की गतिविधियां और बारिश की तीव्रता में कमी आ जाएगी। हालांकि 2-3 दिनों की राहत के बाद 26 और 27 जुलाई से भारी मॉनसून वर्षा बिहार में वापसी कर सकती है, जिससे बिहार में कई जिलों में फिर से सामान्य जनजीवन प्रभावित होगा।
वर्तमान मौसमी परिदृश्यों को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि बिहार में जुलाई के आखिर तक मॉनसून काफी उग्र रहेगा और बिहार को किसी तरह की राहत नहीं देने वाला है। साल 2020 के मॉनसून ने जून में सुस्ती के बाद जुलाई में जो रफ्तार पकड़ी अब तक वही गति नजर नहीं आ रही और कई जिलों में मूसलाधार वर्षा रुक-रुक कर होती रही है। बिहार में 1 जून से 20 जुलाई के बीच सामान्य से 36% अधिक 530 मिमी बारिश हुई है।
Image Credit: TOI
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