पिछले कुछ दिनों से देश में बारिश की गतिविधियां बंद थीं। उत्तर भारत में लंबे समय से जबकि मध्य भारत और पूर्वी राज्यों में कुछ दिनों से बारिश नहीं हो रही थी। 24 अक्तूबर तक जहां देश भर में औसत से 13% अधिक वर्षा हुई थी वहीं आज यह घटकर 7% पर आ गई। आगे इसमें और कमी आएगी क्योंकि जल्द अच्छी बारिश का स्पैल संभावित नहीं है। लंबे समय से कुछ भागों पर ही लटका दक्षिण-पश्चिम मॉनसून-2020 आखिरकार बुधवार, 28 अक्टूबर, 2020 को सम्पूर्ण भारत को अलविदा कह गया। यह हाल के वर्षों में सबसे लंबे समय तक टिकने वाला मॉनसून माना जाएगा। इस बार 5 महीने से देश पर रहा दक्षिण-पश्चिम मॉनसून।
देश के मुख्य मॉनसून के विदा होने और बंगाल की खाड़ी के कुछ हद तक शांत होने के बाद अब उत्तर-पूर्वी हवाएँ पूर्वी तटों, विशेषकर आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तटों पर चलने लगी हैं। इसके साथ ही उत्तर-पूर्वी मॉनसून का आगमन इन क्षेत्रों में हो गया है। इसके चलते अगले 48 घंटों के दौरान तटीय तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के तटीय भागों में कुछ स्थानों पर बारिश होने के लिए स्थितियाँ अनुकूल दिखाई दे रही हैं। हालांकि बारिश बहुत अधिक नहीं होगी जिससे कह सकते हैं कि उत्तर-पूर्वी मॉनसून का आगाज़ कमज़ोर हुआ है।
उत्तर-पूर्वी मॉनसून दिसम्बर के आखिर तक रहता है और दक्षिण भारत के 5 सब डिवीजनों तमिलनाडु, केरल, दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक, रायलसीमा और तटीय आंध्र प्रदेश को प्रभावित करता है। इन भागों में अक्टूबर में होने वाली बारिश को उत्तर-पूर्वी मॉनसून की बारिश ही माना जाता है, मॉनसून का आगमन देर से ही क्यूँ ना हो।
अब तक इन 5 सब डिवीजनों में जहां तमिलनाडु में 41% कम और केरल में 21% कम वर्षा हुई है। जबकि बाकी तीनों क्षेत्रों में सामान्य से लगभग 20% अधिक वर्षा दर्ज की गई है। बारिश की गतिविधियों में अगले सप्ताह से व्यापक वृद्धि होने की संभावना है।
Image Credit: Keral-Itimes
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