उत्तर-पश्चिम भारत के कई भागों की धरती को तृप्त किए बिना उल्टे पाँव लौट चला है मॉनसून।
भारत में मॉनसूनी बारिश मुख्यतः जुलाई और अगस्त माह में होती है। झमाझम बारिश के साथ दक्षिण पश्चिम मॉनसून के चार महीनों का सफर जून में शुरू होता है। सितंबर मॉनसून की वापसी का महीना है, इसमें कई भागों में बारिश घट जाती है साथ ही इसका दायरा तथा तीव्रता दोनों ही सिमटते जाते हैं।
अगर ऐतिहासिक आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि मॉनसून की वापसी 1 सितंबर से पहले कभी भी नहीं हुई, और इसकी वापसी की शुरुआत पश्चिमी राजस्थान से होती है। भारत के पूरे वर्ष के मौसम, कृषि और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले मॉनसून के आरंभ और इसके वापस होने की तिथियों की घोषणा में बेहद सावधानी बरती जाती है।
जिस बेसब्री से दक्षिण पश्चिम मॉनसून के आगमन का इंतज़ार किया जाता है उसी गंभीरता से मॉनसून की वापसी भी भारत के लिए मायने रखती है।
मॉनसून की वापसी की घोषणा निम्नलिखित पैमानों के आधार पर की जाती है:
1-बारिश बंद हो जाना
2- बादल छंट जाना
3- हवा के रुख में बदलाव
4- आर्द्रता के स्तर में कमी आना
5- तापमान का बढ़ जाना
6- राजस्थान में एंटी-साइक्लोन की स्थिति का बनना
किसी स्थान विशेष से मॉनसून के वापस होने की घोषणा इन स्थितियों के 5 दिनों तक लगातार बने रहने के बाद की जाती है। इसके अलावा मॉनसून की अक्षीय रेखा भी कमजोर हो जाती है और हिमालय की तराई के करीब बनी रहती है।
वर्तमान मौसमी परिदृश्य यह है कि मॉनसून ने राजस्थान के पश्चिमी छोर से वापसी शुरू कर दी है। 7 सितंबर को मॉनसून की वापसी की सीमा रेखा अनूपगढ़, नागौर, जोधपुर और बाड़मेर के पास है।
राजस्थान के कुछ और भागों तथा पंजाब एवं हरियाणा के कुछ हिस्सों से मॉनसून की वापसी के लिए मौसम अनुकूल है। हालांकि यह भी एक तथ्य है कि मॉनसून वापसी का मतलब यह कत्तई नहीं है कि बारिश पूरी तरह से समाप्त हो जाए। मॉनसून की वापसी के बाद भी उत्तर पश्चिम भारत में पश्चिमी विक्षोभ के आने से बारिश दर्ज की जा सकती है।
मॉनसून की वापसी एक धीमी प्रक्रिया है। वापसी की शुरुआत होने के बाद समूचे राजस्थान और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों से इसकी पूरी तरह से वापसी में लगभग 15 दिन का समय लग जाता है। जबकि दूसरी तरफ पूर्वोत्तर राज्यों और दक्षिण भारत के राज्यों में पूरे सितंबर तक अच्छी बारिश होती रहती है। दक्षिण पश्चिम मॉनसून की वापसी शुरू होने के साथ ही देश में दैनिक औसत बारिश के आंकड़ों में भी व्यापक रूप से कमी आने लगती है।
Image Credit: www.rpcb.rajasthan.gov.in