Updated on May 28, 2018, at 11:30 AM मॉनसून 2018 रविवार को पहुंचा श्रीलंका; केरल में अगले 24 घंटों में हो सकता है आगमन
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह तक पहुँचने के बाद अपना आगे का सफ़र अपेक्षित गति से शुरू कर चुका है। अनुकूल मौसमी परिदृश्य के बीच आगे के सफर में यह कुछ और पड़ावों को पार कर चुका है, जिसमें मालदीव और लक्षद्वीप सहित दक्षिणी अरब सागर के कुछ क्षेत्र शामिल हैं। बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी भागों और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह तथा अंडमान सागर में भी पिछले 24 घंटों के दौरान मॉनसून ने प्रगति की है।
मॉनसून की उत्तरी सीमा यानि एनएलएम इस समय अंडमान व निकोबार के मायाबन्दर क्षेत्र तक पहुँच गई है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अरब सागर में बना गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र और बंगाल की खाड़ी में बना निम्न दबाव का क्षेत्र मॉनसून को तेज़ी से आगे बढ़ाएंगे तथा अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी के भी कई इलाकों में यह जल्द प्रगति करेगा।
दोनों सिस्टमों की सक्रियता को देखते हुए इस बात की संभावना है कि मॉनसून अगले 24 घंटों के भीतर केरल पहुँच जाएगा। स्काइमेट ने अपने अनुमान में 28 मई को मॉनसून के केरल पहुँचने की संभावना जताई थी। इसमें दो दिन का एरर मार्जिन भी बताया गया था। इस अनुमान के सच होने की प्रबल संभावना है। केरल पहुँचने के साथ ही मॉनसून दक्षिणी अरब सागर के कुछ भागों, कोमोरिन क्षेत्र, लक्षद्वीप के कुछ और हिस्सों, दक्षिणी तमिलनाडु, अंडमान सागर के बचे हुए हिस्सों और बंगाल की खाड़ी के मध्य पूर्वी भागों तक पहुँच सकता है।
Published on May 26, at 05:30 AM मॉनसून आया अंडमान; जल्द पहुंचेगा केरल
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह तक पहुँचने के बाद अपना आगे का सफ़र अपेक्षित गति से शुरू कर चुका है। अनुकूल मौसमी परिदृश्य के बीच आगे के सफर में यह कुछ और पड़ावों को पार कर चुका है, जिसमें मालदीव और लक्षद्वीप सहित दक्षिणी अरब सागर के कुछ क्षेत्र शामिल हैं। बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी भागों और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह तथा अंडमान सागर में भी पिछले 24 घंटों के दौरान मॉनसून ने प्रगति की है।
मॉनसून की उत्तरी सीमा यानि एनएलएम इस समय अंडमान व निकोबार के मायाबन्दर क्षेत्र तक पहुँच गई है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अरब सागर में बना गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र और बंगाल की खाड़ी में बना निम्न दबाव का क्षेत्र मॉनसून को तेज़ी से आगे बढ़ाएंगे तथा अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी के भी कई इलाकों में यह जल्द प्रगति करेगा।
दोनों सिस्टमों की सक्रियता को देखते हुए इस बात की संभावना है कि मॉनसून अगले 24 घंटों के भीतर केरल पहुँच जाएगा। स्काइमेट ने अपने अनुमान में 28 मई को मॉनसून के केरल पहुँचने की संभावना जताई थी। इसमें दो दिन का एरर मार्जिन भी बताया गया था। इस अनुमान के सच होने की प्रबल संभावना है। केरल पहुँचने के साथ ही मॉनसून दक्षिणी अरब सागर के कुछ भागों, कोमोरिन क्षेत्र, लक्षद्वीप के कुछ और हिस्सों, दक्षिणी तमिलनाडु, अंडमान सागर के बचे हुए हिस्सों और बंगाल की खाड़ी के मध्य पूर्वी भागों तक पहुँच सकता है।
Published on May 26, at 05:30 AM मॉनसून आया अंडमान; जल्द पहुंचेगा केरल
उम्मीदों और अपेक्षाओं के बीच मॉनसून 2018 जल्द ही भारत के मुख्य भू-भाग पर दस्तक देने वाला है। यानि केरल में मौसम मॉनसून के स्वागत की तैयारियां कर रहा है। स्काइमेट ने अनुमान लगाया था कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून केरल में 28 मई तक पहुँच जाएगा। हालांकि इसमें 2 दिन का एरर मार्जिन भी बताया गया था यानि 28 मई से 2 दिन पहले या 2 दिन बाद भी पहुँच सकता है।
इस बीच शुक्रवार को दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्व, दक्षिणी अंडमान सागर तथा निकोबार द्वीपसमूह पर दस्तक दे दी। मॉनसून की उत्तरी सीमा इस समय कार निकोबार से होकर गुजर रही है। हालांकि अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में इसके आने में लगभग चार-पांच दिनों की देरी हुई है और इसके लिए बंगाल की खाड़ी में उभरे चक्रवाती तूफान सागर तथा मेकुनु को जिम्मेदार माना जा रहा है।
दोनों सक्रिय और प्रभावी मौसमी सिस्टम रहे और दक्षिण-पश्चिमी आर्द्र हवाओं को अपनी ओर खींचते रहे जिससे मॉनसून की गति धीमी हो गई और इसे अंडमान सागर में पहुँचने में देरी हुई। वर्तमान चक्रवाती तूफान मेकुनु अरब सागर के उत्तर पश्चिम में है और ओमान के पास पहुंचने वाला है। अब इसका असर मॉनसून पर नहीं दिखेगा और जल्द ही मॉनसून अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के अन्य भागों में दस्तक देगा।
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यहाँ यह स्पष्ट कर दें कि मॉनसून के जल्दी या देर से आने और इसके आगे बढ़ने तथा इसके प्रदर्शन पर कोई सीधा असर देखने को नहीं मिलता है। स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में जल्द ही और आगे बढ़ने के लिए सभी स्थितियां अनुकूल बन गई हैं। दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के दोनों किनारों पर यानि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के ऊपर घने बादल बनने लगे हैं। आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगमन के समय अरब सागर और उससे सटे हिंद महासागर में उठने वाली मौसमी हलचल ज्यादा सकारात्मक भूमिका अदा करती है।
उल्लेखनीय है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 2018 का आगमन ज़ोरदार ढंग से होगा यानी मॉनसून से आते ही केरल और आसपास के भागों में भारी बारिश देखने को मिलेगी। इन सबके कारणों पर नज़र डालें तो मैडन जूलियन ओशीलेशन यानि एमजेओ बादल और बारिश की लहर है जो भूमध्य रेखा के आसपास से पश्चिम से पूर्व की ओर चलता है। एमजेओ जब भी हिंद महासागर में होता है तब चक्रवाती तूफान जैसे मौसमी सिस्टम बनने की संभावना रहती है जिससे भारत में बारिश बढ़ जाती है।
मॉनसून के इतिहास पर नजर डालें तो लगातार 2 वर्षों में कभी भी मॉनसून का प्रदर्शन एक जैसा नहीं रहा। मॉनसून की प्रगति की तरह मॉनसून का आगमन भी हर वर्ष अलग-अलग देखने को मिलता है। मॉनसून के आगमन की घोषणा के लिए तीन महत्वपूर्ण पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है जिसमें बारिश सबसे अहम है। अन्य दो प्रमुख पहलू हैं हवा का क्षेत्र और आउटगोइंग लॉन्गवेब रेडिएशन यानी ओएलआर।
इस समय अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवाती क्षेत्र और प्रभावी हो रहे हैं, जिससे चिन्हित 14 स्थानों मिनिकॉय, अमिनी दिवी, तिरुवनंतपुरम, पुनालुर, कोल्लम, अलापुझा, कोट्टायम, कोच्चि, त्रिशूर, कोझिकोड, थालसैरी, कन्नूर, कुडुलु और बेंगलुरु में बारिश का 60% क्राइटेरिया पूरा हो गया है।
सभी स्थितियाँ अनुकूल हैं। इस बीच अभी भी हवा ने मॉनसून का स्थायी रूप नहीं लिया है। लेकिन आने वाले समय में मॉनसूनी हवाएँ स्थायी हो जाएंगी और मॉनसून अपना डेरा जमा लेगा।
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