[Hindi] मॉनसून 2020: मॉनसून जल्द निकल सकता है वापसी की राह पर, जानें क्या हैं वापसी की घोषणा के लिए मापदंड

September 27, 2020 11:45 AM|

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून जून से शुरू होकर सितंबर तक चलता है। मॉनसून के आगमन का महीना है जून, तो सितंबर मॉनसून की विदाई का महीना है। मॉनसून के आगमन और वापसी की सामान्य तारीखें निश्चित तो हैं लेकिन प्रायः मॉनसून का आगमन और विदाई दोनों निर्धारित समय के आगे पीछे होती है। इसमें आगमन में बहुत अधिक अंतर देखने को नहीं मिलता लेकिन मॉनसून की वापसी सामान्य समय से हर बार देर से होती है।

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भारत के सरकारी मौसम विभाग (आईएमडी) ने मॉनसून के आगमन और वापसी की सामान्य समय सीमा को पिछले वर्ष संशोधित किया था। मॉनसून की वापसी की समय सीमा 1 सितंबर होती थी लेकिन संशोधित तिथियों के अनुसार अब इसे 17 सितंबर कर दिया गया है। यह बदलाव इसलिए किया गया क्योंकि अक्सर लंबे समय से यह देखा गया कि मॉनसून सितंबर के दूसरे पखवाड़े में ही वापसी की राह पर निकला है। कभी-कभी इसकी वापसी सितंबर के आखिर में शुरू हुई है।

मॉनसून की वापसी सबसे पहले पश्चिमी राजस्थान से होती। प्रायः ऐसा भी होता है कि पश्चिमी राजस्थान के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा और जम्मू कश्मीर से भी मॉनसून लौट जाता है। सकाइमेट के मौसम विभाग के प्रमुख एवीएम जीपी शर्मा के अनुसार मॉनसून की वापसी का कोई तय मापदंड नहीं है। साथ ही इसकी वापसी का समय, रफ़्तार और प्रक्रिया भी निश्चित नहीं है। हालांकि इतना तय है कि 1 सितंबर से पहले मॉनसून वापस नहीं होता है।

मॉनसून की वापसी की घोषणा का आधार क्या है?

किसी क्षेत्र से मॉनसून की वापसी तब मान ली जाती है जब लगातार 5 दिन से बारिश ना हो, हवाओं का रुख बदलकर पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी हो, हवा के निचले स्तर पर एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन बन जाए, नमी में गिरावट आए और तापमान में वृद्धि हो। इन सबके अलावा बादल भी कम होने लगें।  

हालांकि मॉनसून की वापसी का यह मतलब नहीं है कि बारिश बिलकुल ही नहीं होगी। मॉनसून की वापसी के बाद किसी अन्य मौसमी कारण से बारिश हो सकती है। इसी तरह से मॉनसून के वापस ना होने का भी मतलब यह नहीं है कि बारिश होती रहे, जैसा हमे उत्तर भारत में देखने को मिला है। नई तिथि के अनुसार भी उत्तर भारत से मॉनसून की वापसी में लगभग एक सप्ताह की देरी हो चुकी है लेकिन बारिश लगभग दो हफ़्तों से बंद है।

मॉनसून की वापसी 15 डिग्री उत्तरी अक्षांश (मध्य भारत से दक्षिणी प्रायद्वीप तक) तक ही होती है। जब तक मध्य भारत से मॉनसून के विदा होते-होते अक्तूबर का मध्य आ जात है। यही वह समय है जब दक्षिण भारत में उत्तर-पूर्वी मॉनसून का आगमन हो जाता है। इसलिए तमिलनाडु और कर्नाटक सहित दक्षिणी राज्यों में मॉनसून की वापसी की रेखा देश मानचित्र पर नहीं दर्शाई जाती है। दूसरी ओर पूर्वोत्तर राज्यों में 15 अक्तूबर तक मॉनसून वापस होता है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर से आमतौर पर सितंबर के आखिर तक मॉनसून वापस लौट जाता है। हालांकि इतिहास में कभी-कभी ऐसा भी हुआ है जब मॉनसून की वापसी अक्तूबर महीने में हुई है।

साल 2020 में कब लौटेगा मॉनसून?

इस साल मॉनसून की वापसी लगभग 10-12 दिनों की देरी से पश्चिमी राजस्थान से शुरू होने की संभावना है। इस समय एक मॉनसून सिस्टम उत्तरी मध्य प्रदेश और इससे सटे दक्षिणी उत्तर प्रदेश पर यह। यह पूरब में मुड़ेगा और पूर्वी उत्तर प्रदेश होते हुए बिहार की तरफ जाएगा। इस दौरान यह सिस्टम कमजोर हो जाएगा और इसके प्रभाव से उत्तर भारत की तरफ अभी जो दक्षिण-पूर्वी आर्द्र हवाएँ आ रही हैं वो बंद हो जाएंगी।

उत्तर भारत पर हवा में विपरीत चक्रवाती क्षेत्र पहले से बन गया है। वर्तमान मॉनसून सिस्टम के बिहार पर जाने के बाद हवाओं के रुख में बदलाव से हवा में नमी कम होने लगेगी और पश्चिमी शुष्क हवाएँ चलने लगेंगी। बारिश पहले से बंद है, बादल भी कम हो गए हैं और तापमान भी बढ़ गया है। तो कुल मिलकर मॉनसून की वापसी की घोषणा के लिए स्थितियाँ अनुकूल होती नज़र आ रही हैं।

स्काइमेट का आंकलन है कि 27-28 सितंबर से चार महीनों का लंबा बारिश का सीजन ‘मॉनसून’ पश्चिमी राजस्थान से अपनी वापसी की राह पर निकल सकता है। इसके बाद अगले कुछ ही दिनों में यह जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को भी अलविदा कह जाएगा।

Image Credit:Bloomberg

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