मॉनसून का आगमन जब पूरे देश में हो जाता है, उसके बाद मॉनसून ट्रफ बनने लगती है। इस ट्रफ को अंग्रेजी में ऐक्सिस ऑफ मॉनसून ट्रफ जबकि हिंदी में मॉनसून की अक्षीय रेखा कहते हैं। मॉनसून की अक्षीय रेखा जहां पर होती है आमतौर पर उसके आसपास ही अन्य मौसमी सिस्टम बनते रहते हैं इसीलिए ट्रफ के इर्द-गिर्द ही सबसे ज्यादा बारिश देखने को मिलती है।
इस समय मॉनसून की अक्षीय रेखा पश्चिम में अमृतसर, करनाल, बरेली से होते हुए पूर्व में गोरखपुर और उसके बाद पूर्वोत्तर भारत के तराई क्षेत्रों पर बनी हुई है।
वर्षा ऋतु के 4 महीनों में जून से सितंबर के बीच मॉनसून का अलग-अलग रूप देखने को मिलता है। इस दौरान कुछ राज्य ऐसे होते हैं जहां पर मॉनसून बेहद सक्रिय रहता है जबकि कुछ राज्यों में मॉनसून का सामान्य प्रदर्शन देखने को मिलता है। वहीं कुछ इलाकों में मॉनसून की बेरुखी के कारण सूखे जैसे संकट का सामना लोगों को करना पड़ता है।
इसके अलावा 4 महीनों की इसी अवधि के दौरान कई मौके ऐसे आते हैं जब पूरे देश में मॉनसून में ब्रेक की कंडीशन आ जाती है यानी पूरे देश भर में मॉनसून कमजोर हो जाता है और अधिकांश जगहों पर कुछ दिनों के लिए मौसम साफ हो जाता है। यह स्थिति लगभग 5 से 7 दिनों तक बनी रहती है। उसके बाद फिर से कोई मौसमी सिस्टम बंगाल की खाड़ी या अरब सागर पर विकसित होता है जिसकी वजह से आर्द्र हवाओं का प्रवाह बढ़ने लगता है और बारिश की गतिविधियां फिर से शुरू होने लगती हैं।
पिछले 48 घंटों के दौरान मॉनसून कहां रहा सक्रिय और कहाँ दिखी सुस्ती
बीते 24 से 48 घंटे के दौरान मॉनसून की सबसे ज्यादा सक्रियता विदर्भ, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक, तेलंगाना के कुछ भागों, रायलसीमा और गंगीय पश्चिम बंगाल में देखने को मिली। तटीय कर्नाटक, केरल, कोंकण गोवा, मध्य प्रदेश के कई इलाकों और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मॉनसून का सामान्य प्रदर्शन जारी रहा। जबकि उत्तर-पश्चिम भारत में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान के अलावा गुजरात और पश्चिमी मध्य प्रदेश तथा पश्चिमी हिमालयी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड एवं लद्दाख में मॉनसून का कमजोर प्रदर्शन देखने को मिला।
मॉनसून कहां पर रहेगा सक्रिय
मॉनसून की अक्षीय रेखा पूर्वोत्तर भारत में हिमालय के तराई क्षेत्रों पर है इसी के आसपास मॉनसून की व्यापक सक्रियता देखने को मिल रही है। अनुमान है कि बिहार, हिमालय पश्चिम बंगाल, सिक्किम और पूर्वोत्तर भारत के कई क्षेत्रों में 29 जून तक मॉनसून के व्यापक रूप में सक्रिय रहने की संभावना है। वहीं महाराष्ट्र, तेलंगाना के कुछ हिस्सों और आंतरिक कर्नाटक के भागों में भी अगले 24 से 48 घंटों के दौरान ज्यादातर जगहों पर सामान्य मॉनसून का प्रदर्शन देखने को मिलेगा। जबकि कुछ स्थानों पर व्यापक सक्रियता के चलते मॉनसून मूलाधार बारिश दे सकता है।
पूर्वोत्तर भारत के बाकी हिस्सों, मध्य प्रदेश के अधिकांश भागों, छत्तीसगढ़, केरल, तटीय कर्नाटक और गोवा में मॉनसून का सामान्य प्रदर्शन अगले 2 दिनों के दौरान जारी रहने के आसार हैं। इन भागों में मध्यम से भारी वर्षा रुक-रुक कर होती रहेगी। अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में भी अगले दो-तीन दिनों के दौरान मॉनसून की सक्रियता बरकरार रहेगी।
दूसरी ओर तमिलनाडु, पश्चिमी हिमालयी राज्यों और उत्तर पश्चिम भारत यानी पंजाब, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के साथ-साथ गुजरात और उत्तरी मध्य प्रदेश में अगले दो-तीन दिनों के दौरान मॉनसून के कमजोर बने रहने की आशंका है।
मॉनसून 2020 का अब तक का प्रदर्शन
1 जून से 28 जून के बीच मॉनसून का प्रदर्शन सामान्य से बेहतर रहा है। पूरे देश में और लगभग सामान्य से 22% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। मध्य भारत में सामान्य से 40 फ़ीसदी ज़्यादा, उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में सामान से 11% अधिक और पूर्वी तथा पूर्वोत्तर राज्यों में सामान्य से 18% ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। दक्षिण भारत में भी सामान्य से 4% अधिक वर्षा दर्ज की गई है।
Image Credit: The Indian express
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।