Updated on June 8, 2019 at 02:15 PM केरल पहुंची मॉनसून एक्सप्रेस, अमिनीदिवी, कोचीन और मदुरै से होकर गुज़र रही है मॉनसून की उत्तरी सीमा
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 2019 का केरल में 8 जून को आगाज़ हुआ। पिछले दो-तीन दिनों से 14 स्थानों पर बारिश हो रही थी जिसके चलते मॉनसून के आगमन के लिए स्थितियाँ अनुकूल बनी थीं। इस समय मॉनसून की उत्तरी सीमा यानि एनएलएम लक्षद्वीप में अमिनीदिवी, केरल में कोचीन और तमिलनाडु में मदुरै से होकर गुज़र रही है।
बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी-मध्य और पूर्वी-मध्य भागों में भी मॉनसून में प्रगति हुई है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इसका पश्चिमी छोर कमजोर रहेगा जिससे दक्षिण भारत के बाकी हिस्सों में इसकी कमजोर प्रगति की आशंका है। लेकिन पूर्वोत्तर भारत के भागों में मॉनसून के जल्द दस्तक देने के लिए मौसमी परिदृश्य अनुकूल बना हुआ है।
Originally Published on June 8, 2019 at 12:00 आखिरकार 8 जून को केरल में मॉनसून ने दी दस्तक, निर्धारित समय से 7 दिन पीछे
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 2019 का 7 दिनों की देरी के बाद आखिरकार केरल में 8 जून को आगमन हो गया। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मॉनसून के आगमन के लिए सभी स्थितियां शुक्रवार को ही अनुकूल बन गई थीं। इसके चलते 8 जून को दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगमन की औपचारिक घोषणा हो गई और अब भारत के मुख्य भूभाग पर मॉनसून का 4 महीनों लंबा सफर शुरू हो गया है।
स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि अरब सागर के दक्षिण-पश्चिमी भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बन रहा है, जो जल्द ही निम्न दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो सकता है। इस सिस्टम को मॉनसून के केरल में लाने का श्रेय दिया सकता है। लेकिन यह सिस्टम उत्तर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा जिसके कारण आगमन के बाद केरल में जल्द ही बारिश की गतिविधियां कम हो जाएंगी।
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इससे पहले 6 और 7 जून को लक्षद्वीप, केरल और कर्नाटक के पूर्व निर्धारित 14 स्थानों पर अच्छी बारिश हुई है। बारिश के आंकड़े नीचे टेबल में दिए गए हैं।
इन सभी जगहों पर लगातार दो दिन 60% भू-भाग में 2.5 मिलीमीटर या उससे अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो मॉनसून की घोषणा के लिए एक महत्वपूर्ण आयाम है। इसके अलावा आउटगोइंग लॉन्गवेब रेडिएशन (ओएलआर) भी निर्धारित सीमा 200wm^2 के नीचे बनी हुई थी। साथ ही दक्षिण भारत के दक्षिणी छोरों और दक्षिण पूर्वी अरब सागर तथा लक्षदीप पर हवा 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। दक्षिण-पश्चिमी हवा का दबाव 600hpa के आसपास था।
Image credit: NDTV
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