दक्षिण पश्चिम मानसून 2019 की यात्रा बंगाल की खाड़ी में शुरू हो गई है। मॉनसून अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में दस्तक दे चुका है। आमतौर पर 20 मई को अंडमान निकोबार द्वीप समूह में पहुंचता है मानसून। लेकिन इस बार 1 दिन पहले ही उसने अंडमान निकोबार के क्षेत्रों पर दस्तक दी। साथ ही बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी भागों और निकोबार द्वीप के कुछ हिस्सों को इसने कवर किया।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिणी अंडमान सागर पर एक चक्रवाती क्षेत्र हवाओं में बना है जिसके कारण यहां पर हवाएं भूमध्य रेखा के पास से प्रभावी हुई हैं। इसी के कारण दक्षिण पश्चिमी हवाएं अंडमान निकोबार के करीब पहुंची जिससे बादल बढ़ गए और बारिश भी तेज हो गई। हालांकि आमतौर पर मॉनसून के आगमन के साथ जितनी मात्रा में बारिश होती है वैसी बारिश फिलहाल नहीं हो रही है लेकिन हमारा अनुमान है कि क्योंकि मानसूनी हवाएं अब आ चुकी हैं जिससे जल्द ही बारिश जोर पड़ेगी।
इसके साथ ही अब मॉनसून के आगे बढ़ने का क्रम भी जारी होगा। इसे मॉनसून की उत्तरी सीमा के रूप में एक रेखा के जरिए जिसे नॉर्दन लिमिट ऑफ मानसून कहा जाता है, से चिन्हित किया जाता है। इस समय मॉनसून की उत्तरी सीमा 5 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 81 डिग्री देशांतर, कार निकोबार और 13 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 99 देशांतर के पास है।
विशेषज्ञों के अनुसार अगले दो-तीन दिनों के दौरान मॉनसून के बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्सों में कुछ स्थानों पर, उत्तरी अंडमान सागर और अंडमान द्वीप पर भी पहुंचने के लिए मौसम की परिस्थितियां अनुकूल हैं। भारत में मानसून के आने की औपचारिक शुरुआत केरल में दस्तक देने से मानी जाती है। इसके लिए अभी कुछ दिनों का इंतजार करना होगा।
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स्काईमेट में मॉनसून के आगमन के बारे में अपना पूर्वानुमान पहले ही जारी किया था, जिसमें 4 जून को मानसून के केरल पहुंचने की संभावना जताई थी और 2 दिन का एरर मार्जिन बताया था। स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञ मानते हैं कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर मानसून के आने का केरल में समय से मॉनसून के आगमन के बीच कोई सटीक संबंध नहीं है। केरल में आने के बाद से यह भारत में 4 महीनों के लंबे सफ़र का आगाज करता है।
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