पूर्वी भारत के राज्यों में मॉनसून अच्छी बारिश देता है, लेकिन यहाँ आमतौर पर मॉनसून वर्षा का वितरण एक समान नहीं होता। उत्तरी बिहार में अक्सर देखा जाता है कि सामान्य से काफी अधिक वर्षा अपने साथ मुश्किलें लेकर आ जाती है जबकि अन्य भागों में सामान्य से कम बारिश चिंता की लकीरें खींच देती है। पिछले दो वर्षों में मॉनसून के प्रदर्शन की बात करें तो 2016 व 2017 में पूर्वी राज्यों में सामान्य मॉनसून वर्षा दर्ज की गई थी।
इस बार पूर्वी राज्यों पर मॉनसून के मेहरबान रहने की उम्मीद है और बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के साथ-साथ ओड़ीशा में सामान्य से कुछ अधिक वर्षा मॉनसून 2018 के चार महीनों के सीज़न में देखने को मिल सकती है। हमारा अनुमान है कि कोलकाता, रांची, पटना, भुवनेश्वर सहित सभी प्रमुख शहरों को मॉनसून 2018 निराश नहीं करेगा।
पूर्वोत्तर राज्यों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 2018
पूर्वोत्तर राज्यों में देश के पश्चिमी तटों की तरह ही मॉनसून में सबसे अधिक बारिश होती है। पूर्वोत्तर राज्यों में मॉनसून काफी जल्दी पहुंचता है और इसकी विदाई काफी देर में होती है। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी से इसकी नजदीकी के चलते भी यहाँ भारी मॉनसून वर्षा देखने को मिलती है।
मॉनसून 2018 में पूर्वोत्तर राज्यों में मॉनसून का प्रदर्शन कुछ कमजोर रहने की संभावना है। हालांकि यहाँ कमजोर होकर भी मॉनसून इतनी बारिश दे देता है कि पानी की कमी का संकट पूर्वोत्तर राज्यों को झेलना नहीं पड़ता। गुवाहाटी, शिलोंग और इटानगर में मॉनसून 2018 में कम बारिश के संकेत दिखाई दे रहे हैं।
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ऐसा देखा जाता है कि जब असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश यानि उत्तरी राज्यों में बारिश अधिक होती है तब दक्षिणी राज्यों नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम और त्रिपुरा में मॉनसून कमजोर रहता है। और जब इन भागों में मॉनसून का प्रदर्शन अच्छा होता है तब उत्तरी राज्यों में मॉनसून सीज़न में बारिश में कमी देखने को मिलती है।
बीते वर्ष में अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में कम मॉनसून वर्षा हुई जबकि नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम और त्रिपुरा में सामान्य मॉनसून वर्षा दर्ज की गई। इसी तरह 2016 में भी असम, मेघालय और अरुणाचल में मॉनसून कमजोर रहा जबकि नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम और त्रिपुरा में सामान्य के आसपास मॉनसूनी बारिश रिकॉर्ड की गई।
Image credit: The Better India
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