मॉनसून का सफर समय से पहले अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच गया है। अब इंतज़ार देश भर में मॉनसून के प्रदर्शन का है। भारत में केरल के रास्ते प्रवेश करने वाला मॉनसून इस बार समय से 2-3 दिन पहले 28 मई को आया। यही नहीं 10 जून तक मॉनसून मध्य और पूर्वोत्तर भारत तक तेज़ी से आगे बढ़ा था और इन मुंबई सहित महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में मूसलाधार वर्षा देखने को मिली थी। इसके चलते 13 जून तक देश भर में बारिश का आंकड़ा सामान्य से 19 प्रतिशत ऊपर पहुँच गया था।
उसके बाद मॉनसून कमजोर हुआ और देश के अधिकांश भागों में बारिश कम हो गई थी जिससे देश भर में मॉनसून सीज़न की कुल बारिश में व्यापक कमी आई। मॉनसून की स्थिति में 24-25 जून से बदलाव आया और जहां पश्चिम में इसने महाराष्ट्र से आगे बढ़ते हुए गुजरात और मध्य प्रदेश में दस्तक दी वहीं पूर्व में बिहार तक पहुंचा। 26 जून के बाद इसकी तेज़ रफ्तार देखने को मिली और अगले ही दिन यानि 27 जून को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को पार करते हुए पंजाब तक मॉनसून का आगाज़ हो गया।
आमतौर पर 1 जुलाई तक देश के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून का आगमन होता है। लेकिन पश्चिमी पंजाब और पश्चिमी राजस्थान में मॉनसून 15 जुलाई तक आता है। जबकि इस बार जून खत्म होने से पहले ही देश भर में मॉनसून ने दस्तक दी है। स्काइमेट के अनुसार मॉनसून के आगमन की घोषणा कुछ निर्धारित मानदंड पूरे होने पर की जाती है:
- बारिश वाले बादल लंबे समय तक छाए रहें और हल्की वर्षा होती रहे।
- तापमान में व्यापक गिरावट आए।
- हवा का रुख स्थायी तौर पर बदल जाता है और पूर्वी हवाएँ निरंतर चलने लगती हैं।
- आर्द्र हवाएँ लगातार चल रही हों जिससे सापेक्षिक आर्द्रता में व्यापक बढ़ोत्तरी हो जाए।
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पिछले कुछ दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत के भागों में यह सभी मौसमी मापदंड अनुकूल हुए हैं। जिससे मॉनसून समूचे भारत में 29 जून को मॉनसून के आगमन की आधिकारिक घोषणा कर दी गई है। इस बीच उत्तर भारत के राज्य ही अगले कुछ दिनों के दौरान मॉनसूनी हलचल का केंद्र होंगे। जबकि देश के मध्य और दक्षिणी राज्यों में बारिश में कमी आएगी। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार तक 30 जून से अगले कुछ दिनों के दौरान अच्छी वर्षा हो सकती है।
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