मॉनसून का प्रदर्शन अब तक देश भर में सामान्य से कम रहा है। समूचे भारत में 1 जून से 9 अगस्त के बीच 481 मिलीमीटर बारिश हुई है जो सामान्य से 10 प्रतिशत कम है। मॉनसून 2018 यूं तो सामान्य समय यानि 1 जून से पहले 28 मई को केरल में आ गया था और शुरुआत 10-15 दिनों तक इसने तेज़ी से आगे बढ़ते हुए मुंबई सहित दक्षिण भारत में अच्छी बारिश दी थी। हालांकि उसके कुछ ही समय बाद मॉनसून की रफ्तार कम हो गई थी और लगभग 10-12 दिनों के लिए मध्य भारत में महाराष्ट्र पर और पूर्वी भारत में पश्चिम बंगाल पर आकर टिक गया था।
यानि शुरुआती 15 दिनों के बाद ही मॉनसून ने निराश कर दिया था और मॉनसून में ठहराव की स्थिति आ गई थी। बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को मॉनसूनी बारिश के लिए लंबा इंतज़ार करना पड़ा। हालांकि उसके बाद मॉनसून तेज़ी से आगे बढ़ा और दिल्ली तक 29 जून से पहले ही पहुँच गया। जुलाई महीना देश के मध्य भागों के लिए अच्छा रहा क्योंकि बंगाल की खाड़ी से उठने वाले सभी सिस्टम मध्य भारत से ही होकर गुज़र रहे थे जिससे ओड़ीशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अच्छी बारिश हुई। गुजरात में भी जुलाई में ठीक-ठाक बारिश रिकॉर्ड की गई थी।
उत्तर प्रदेश और बिहार जुलाई के पखवाड़े तक देश के सबसे सूखे राज्यों में से थे क्योंकि दोनों राज्यों में 15 जुलाई तक बारिश बहुत कम हुई थी। लेकिन जुलाई ने विदा होने से पहले दोनों राज्यों को भरपूर बारिश दी जिससे बारिश में कमी 1 जून से 10 अगस्त के बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश में महज़ 11 प्रतिशत रह गई। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 5 प्रतिशत और बिहार में 17 फीसदी कमी रह गई।
इस मॉनसून सीज़न में बारिश के मामले में 10 अगस्त तक सामान्य से कम वर्षा वाले राज्य हैं मेघालय (सामान्य से 45 प्रतिशत कम), अरुणाचल (सामान्य से 37 प्रतिशत कम), नागालैंड (सामान्य से 28 प्रतिशत कम), झारखंड (सामान्य से 26 प्रतिशत कम), असम (सामान्य से 25 प्रतिशत कम) और गुजरात (सामान्य से 21 प्रतिशत कम)। जबकि सामान्य से अधिक बारिश वाले राज्य हैं केरल (20 प्रतिशत अधिक), सिक्किम (14 प्रतिशत अधिक), जम्मू कश्मीर (4 प्रतिशत अधिक) और मिज़ोरम (2 प्रतिशत अधिक)।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अगले कुछ दिनों के दौरान केरल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में अच्छी बारिश देखने को मिलेगी। गुजरात, राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश में बारिश कम होगी। देश की कुल मॉनसून वर्षा में सबसे अधिक का योगदान पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिमी तटों पर लगातार होने वाली मूसलाधार बारिश का होता है। लेकिन इस बार मॉनसून अब तक इन भागों में बारिश में कमी रही है। आने वाले दिनों में भी अच्छी वर्षा की उम्मीद कम है।
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