पश्चिमी राजस्थान देश के उन इलाकों में से है जहां मॉनसून का आगमन सबसे बाद में होता है, लेकिन मॉनसून की विदाई सबसे पहले शुरू हो जाती है। देश में मॉनसून की वापसी आमतौर पर 1 सितंबर के आसपास शुरू होती है। 1 सितंबर के बाद अगले 5 दिनों तक लगातार जब बारिश नहीं होती, आर्द्रता के स्तर में कमी आ जाती है, हवा के रुख़ में निरंतर बदलाव आ जाता है (जो विपरीत चक्रवाती क्षेत्र के विकसित होने के कारण होता है),तापमान में वृद्धि होती है और बादलों की उपस्थिति लगातार कम होने लगती है।
मौसम विशेषज्ञ ऐसी स्थितियाँ बनने पर मॉनसून की वापसी के बारे में घोषणा करते हैं। मॉनसून की वापसी आमतौर पर 1 सितंबर की सामान्य तिथि से प्रायः एक पखवाड़े से भी अधिक देरी से शुरू होती है। वर्ष 2017 की अगर बात करें तो मॉनसून की वापसी की शुरुआत लगभग 1 महीने की देरी से 27 सितंबर से हुई। इसी तरह 2016 में मॉनसून की वापसी 15 सितंबर को शुरू हुई। 1 साल पीछे चलें तो 2015 में मॉनसून 4 सितंबर से विदाई के रास्ते पर चल निकला था जबकि 2014 में इसकी वापसी 23 सितंबर से शुरू हुई थी। 2013 में 9 सितंबर लेकिन 2012 में 24 सितंबर को मॉनसून की वापसी की शुरुआत हुई थी।
मॉनसून की वापसी की जब भी घोषणा की जाती है तो इसकी शुरुआत पश्चिमी राजस्थान के छोटे से हिस्से से होती है। दूसरे चरण में राजस्थान के लगभग सभी हिस्सों, गुजरात के कच्छ क्षेत्र, हरियाणा के कुछ भागों, पंजाब के कुछ क्षेत्रों और दिल्ली के करीब वाले हिस्सों में भी मॉनसून की वापस होने की घोषणा की जाती है। दिल्ली एनसीआर से मॉनसून आमतौर पर 15 सितंबर के आसपास विदा होता है। हालांकि मॉनसून की वापसी के लिए अनुकूल स्थितियां 20 से 25 सितंबर के बीच मानी जाती है।
इस समय जैसलमेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर सहित पश्चिमी राजस्थान के कई इलाकों में पिछले 8-10 दिनों से बारिश नहीं हो रही है। इन भागों में तापमान भी 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास रिकॉर्ड किया जा रहा है। लेकिन एक ही परिस्थिति ऐसी है जिससे मॉनसून की वापसी की घोषणा अभी तक नहीं की जा सकी है वह है दक्षिण-पश्चिमी हवाओं का अभी तक बना होना। जल्दी हवाओं के रुख़ में बदलाव आएगा और उत्तर-पश्चिमी हवाएँ चलना शुरू होंगी। उसके बाद ही मॉनसून की वापसी की घोषणा की जा सकती है।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण पहलू है राजस्थान तक पहुंचने वाले मॉनसून सिस्टम के मार्ग में परिवर्तन। अगस्त के आखिर तक ऐसी स्थितियाँ बन जाती हैं कि मध्य प्रदेश से होकर गुजरने वाले मौसमी सिस्टम अपना रास्ता बदल लेते हैं। अभी हाल ही में मध्य प्रदेश पर आया सिस्टम राजस्थान की बजाए उत्तर प्रदेश की ओर चला गया था। यही नहीं मॉनसून की अक्षीय रेखा में अब राजस्थान के आसपास सक्रिय नहीं रह जाती है।
वर्तमान समय में इन परिस्थितियों को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार मॉनसून की वापसी कुछ पहले हो सकती है। यानी सितंबर के पहले सप्ताह में मॉनसून की विदाई राजस्थान के पश्चिमी भागों से शुरू होने की घोषणा मौसम विशेषज्ञ कर सकते हैं।
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