चार महीनों का मॉनसून सीजन आखिरकार 30 सितंबर को सम्पन्न हो गया। देशभर में 1 जून से 30 सितंबर के बीच दीर्घावधि औसत यानी 887.5 मिलीमीटर के मुकाबले 804 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई, जो सामान्य से 84 मिलीमीटर कम है।
स्काईमेट ने अपने संशोधित पूर्वानुमान में 92% वर्षा की संभावना इस मॉनसून सीजन में जताई थी और 5% का मार्जिन रखा था। इस अनुमान में 2018 में सूखे की संभाव्यता 25% जताई थी। मॉनसून 2018 कुछ इन्हीं अनुमानों के आसपास संपन्न हुआ है। देश भर में 9.4 मिलीमीटर कम बारिश के साथ स्थिति सूखे जैसी बनने वाली थी। सूखे जैसी स्थितियां तब घोषित की जाती हैं जब मॉनसून वर्षा 10% कम होती है और मैदानी क्षेत्रों में लगभग 20% भू-भाग में सूखे जैसे हालात रहते हैं।
मॉनसून का प्रदर्शन हर महीने में देखें तो जून से सितंबर तक बारिश में कमी लगातार बढ़ती ही गई। जून में बारिश में कमी जहां 5% थी, जुलाई में बढ़कर 6 हो गई। अगस्त में 8% की कमी रही जबकि सितंबर में कई गुना बढ़ गई और सितंबर में जितनी बारिश होनी थी उससे लगभग 22% कम वर्षा देखने को मिली।
सितंबर के पहले पखवाड़े में देशभर में मॉनसून कमजोर हो गया था और बारिश में व्यापक कमी आ गई थी। इसके चलते इस बात की प्रबल संभावना बन गई थी कि 2018 के मॉनसून को सूखे के तौर पर याद किया जाएगा। लेकिन बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान “डे” ने इस स्थिति से बचा लिया।
स्काईमेट ने दुनिया की तमाम मौसम एजेंसियों की तरह ही अपने प्राथमिक पूर्वानुमान 2018 के मॉनसून के सामान्य प्रदर्शन की संभावना जताई थी। 100 प्रतिशत बारिश के अपने अनुमान में 5% का एरर मार्जिन भी बताया था। लेकिन अल-नीनो की मजबूत होती स्थिति के चलते मौसमी परिदृश्य पूरी तरह बदल गया, और स्काइमेट के अपना पूर्वानुमान संसोधित करना पड़ा।
मॉनसून का माहवार प्रदर्शन
दक्षिण पश्चिम मॉनसून 2018 ने केरल में जून में धमाकेदार प्रदर्शन के साथ दस्तक दी और शुरुआती कुछ दिनों तक तेजी से आगे बढ़ते हुए महाराष्ट्र तक पहुंचा। लेकिन अगले लगभग 2 सप्ताह तक यह कमजोर हो गया और आगे की प्रगति दो हफ्तों तक नहीं हुई। इसके चलते जून महीने में 95 फ़ीसदी यानि 155.3 मिलीमीटर बारिश हुई। जून में दीर्घावधि औसत वर्षा 163.6 मिलीमीटर है, यानी 8 मिलीमीटर कम बारिश हुई।
जुलाई और अगस्त महीनों में मॉनसून का प्रदर्शन कुछ सुधरा लेकिन बारिश में कमी का अंतर बढ़ता गया। जुलाई में सामान्य से 6% कम 272.4 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई जो सामान्य 289.2 मिलीमीटर के मुकाबले से 18 मिलीमीटर कम रही। अगस्त में 92% वर्षा हुई। जहां 261.3 मिलीमीटर वर्षा होनी चाहिए थी वहां 240.4 मिलीमीटर यानी 20 मिलीमीटर कम हुई।
सितंबर में मॉनसून का प्रदर्शन सबसे ज्यादा खराब रहा। सितंबर महीने में सामान्य से 22 फीसदी कम बारिश हुई। आंकड़ों में 173.6 मिलीमीटर सामान्य बारिश के मुकाबले 134.9 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। यानी सितंबर में 30 मिलीमीटर बारिश हुई।
मॉनसून 2018 पर सामुद्रिक परिदृश्यों का प्रभाव
अल-नीनो इस बार अल-नीनो के उभरने की संभावना थी और मॉनसून सीजन की शुरुआत से ही अल-नीनो उभार पर आ गया। समुद्र की सतह का तापमान लगातार बढ़ता जा था रहा जिससे 4 महीनों के मॉनसून सीजन के दूसरे चरण पर बुरा प्रभाव पड़ा। 2018 को उभरते हुए अल-नीनो वर्ष के रूप में मौसम के इतिहास में दर्ज होगा।
इंडियन ओसेन डाइपोल (IOD) इंडियन ओसेन डाइपोलके सकारात्मक होने की स्थिति में अच्छी मॉनसून वर्षा होती है। हालांकि इस बार पूरे मॉनसून सीजन में यह तटस्थ स्थिति में रहा। कह सकते हैं कि इसका मॉनसून 2018 पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और इसने मॉनसून की कोई मदद नहीं की।
मैडेन जूलियन ओशीलेशन (MJO) एम जे ओ का भी मॉनसून पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस बार मॉनसून सीजन की शुरुआत में एम जे ओ अतिथि की तरह मंच पर आया तो लेकिन बिना किसी प्रदर्शन के ही शांत हो गया।
क्षेत्रवार मॉनसून का प्रदर्शन
स्काइमेट ने अपने पूर्वानुमान में दक्षिणी प्रायद्वीपीय भागों में मॉनसून के कमजोर रहने की संभावना जताई थी। यह अनुमान भी सटीक रहा और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक तथा रायलसीमा में बारिश में कमी क्रमशः 29 और 37% की रही।
नीचे दिए गए मैप में राज्यवार वर्षा का वितरण (प्रतिशत) में आप देख सकते हैं:
इसी तरह पूर्वोत्तर भारत में भी मॉनसून का प्रदर्शन कमजोर रहा। यहां तक कि स्काईमेट ने जो अनुमान लगाया था उससे भी कम बारिश देखने को मिली। पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत मॉनसून सीजन के चारों महीने में सबसे कम वर्षा वाले स्थानों में सबसे ऊपर रहे। पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्य में इस बार मॉनसून सीजन में कुल 24% कम वर्षा रिकॉर्ड की गई।
जिन राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश हुई उनका विवरण नीचे दिए गए मैप में है। इन राज्यों में सामान्य से करीब 20 फ़ीसदी अधिक वर्षा हुई है:
पंजाब में मॉनसून 2018 में तकरीबन 5 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद सामान्य से अधिक वर्षा हुई है। इस बार राज्य में सामान्य से 7% अधिक बारिश दर्ज की गई, जो कृषि प्रधान राज्य के लिए अच्छा माना जाएगा।
Image credit: Republic Radio International
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