स्काइमेट ने जैसा अनुमान लगाया था, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 2017 की वापसी की यात्रा आज शुरू हो गई है। उत्तरी अरब सागर, कच्छ, पश्चिमी राजस्थान, हरियाणा व पंजाब के कुछ हिस्सों से मॉनसून वापस लौट चुका है। उत्तर भारत के बाकी भागों से भी जल्द वापसी के लिए मौसमी परिदृश्य अनुकूल है।
मॉनसून की वापसी आमतौर पर सितंबर के पहले सप्ताह में ही दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान से शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार काफी विलंब हुआ है। मॉनसून वापसी की रेखा इस समय अमृतसर, हिसार, जोधपुर और नलिया होकर गुज़र रही है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों का आंकलन है कि पश्चिमी राजस्थान के सभी भागों, पंजाब, हरियाणा के कुछ हिस्सों और गुजरात के कुछ और क्षेत्रों से मॉनसून के अगले 24 घंटों में वापस होने के लिए मौसमी स्थितियाँ अनुकूल बनी हुई हैं। इसी दौरान पूर्वी राजस्थान, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के भी कुछ हिस्सों से मॉनसून वापस हो सकता है।
गौरतलब है कि मॉनसून की वापसी के लिए आवश्यक सभी मापदंड पूरे हो रहे हैं। बीते 5 दिनों से पश्चिमी राजस्थान और आसपास के हिस्सों में मौसम शुष्क बना हुआ, हवाओं का रुख़ दक्षिण-पश्चिम से बदलकर उत्तर-पश्चिम का हो गया है और वातावरण में आर्द्रता के स्तर में व्यापक कमी आई है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार राजस्थान और इससे सटे हिस्सों पर एक एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन भी विकसित हो गया है, जिसे उत्तर-पश्चिम भारत से मॉनसून की विदाई के संकेतक के तौर पर समझा जाता है। इसके चलते उत्तर भारत के मैदानी भागों में हवाएँ बदल गई हैं और अब उत्तर-पश्चिमी शुष्क हवाएँ चल रही हैं। धीरे-धीरे आर्द्रता में और कमी आएगी।
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स्काइमेट के प्रमुख मौसम विशेषज्ञों महेश पालावत के अनुसार ओड़ीशा के तटों पर बंगाल की खाड़ी में बीते दिनों से एक के बाद एक मौसमी सिस्टम विकसित हुए और क्रमशः पश्चिमी दिशा में मध्य प्रदेश सहित मध्य भारत के कई हिस्सों पर पहुंचे। जिसके चलते पिछले कुछ दिनों के दौरान मध्य भारत के भागों में अच्छी बारिश देखने को मिली।
दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान और इससे सटे पाकिस्तान पर भी पिछले दिनों एक के बाद एक चक्रवाती सिस्टम विकसित हुए थे। इन मौसमी सिस्टमों के प्रभाव से उत्तर भारत के मैदानी भागों मॉनसूनी हवाएँ बनी हुई थीं जिससे मॉनसून की वापसी में देरी हुई है।
हालांकि अब देश के बाकी हिस्सों से मॉनसून के जल्द वापसी के संकेत हैं क्योंकि मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत में अब किसी मौसमी सिस्टम के विकसित होने की संभावना नहीं है। साथ ही राजस्थान पर बने एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन के चलते भी सभी भागों में मौसम शुष्क बना रहेगा।
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