संभावनाओं के अनुरूप ही मॉनसून ने आखिरकार केरल में 30 मई को दस्तक दे दी। इसके साथ ही दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पूर्वोत्तर भारत के भी कुछ हिस्सों में पहुँच गया है। गौरतलब है कि केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में समान्यतः 1 जून को मॉनसून का आगाज़ होता है। इस वर्ष मॉनसून ने 2 दिन पहले ही इन भागों में दस्तक दी है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार बंगाल की खाड़ी में विकसित हुए चक्रवाती तूफान मोरा ने मॉनसून को भारत के मुख्य भू-भाग में पहुंचाने में मदद की है। बारिश, हवा की गति और गवा की दिशा, पश्चिमी हवाओं की निरंतरता जैसे मॉनसून को घोषित करने के सभी मापदण्ड इस समय पूरे हो रहे हैं। ओएलआर यानि आउटगोइंग लॉन्गवेब रेडिएशन भी अनुकूल है।
केरल में बीते एक सप्ताह से रुक-रुक कर बारिश की गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। बीते 48 घंटों में बारिश की तीव्रता में बढ़ोत्तरी हुई है और कई जगहों पर मध्यम से भारी जबकि एक-दो स्थानों पर मूसलाधार वर्षा रिकॉर्ड की गई है। नीचे दिये गए टेबल में बारिश के आंकड़ें आप देख सकते हैं जो मॉनसून के आगमन का प्रमुख संकेतक हैं। इन सभी निर्धारित 14 केन्द्रों में से 60 प्रतिशत पर लगातार दो दिन से 2.5 मिलिमीटर बारिश होने पर मॉनसून की घोषणा की जाती है।
मॉनसून का पूर्वानुमान
स्काइमेट के अनुसार मौसम से जुड़े मॉडल संकेत कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में मॉनसून की प्रगति संतोषजनक रहने वाली है और यह अपने निर्धारित गति से आगे बढ़ेगा। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार केरल, कर्नाटक और आंतरिक तमिलनाडु में मॉनसूनी बारिश में बढ़ोत्तरी होने के आसार हैं। हालांकि इन मॉडलों के आंकड़ों पर अगर विश्वास करें तो तटीय तमिलनाडु में बारिश में कमी रहेगी।
हमारा अनुमान है कि 5 से 10 जून के बीच मॉनसून और आगे बढ़ेगा। यह उस दौरान समूचे केरल, तमिलनाडु, मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, कोंकण व गोवा, आंध्र प्रदेश, पूर्वोत्तर भारत के शेष हिस्सों और पश्चिम बंगाल के कुछ भागों को भी पार कर जाएगा। इसी दौरान मॉनसून कोलकाता और मुंबई में एक साथ दस्तक दे सकता है। नीचे दिये गए चित्र में मॉनसून के आगमन की सामान्य समय सीमा को समझा जा सकता है।
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