जून में मॉनसून की शुरुआत से दक्षिण भारत से लेकर मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत में अच्छी बारिश रिकॉर्ड की गई। यही नहीं जून में उत्तर-पश्चिम भारत में भारी वर्षा हुई और आंकड़े सामान्य से 52 प्रतिशत ऊपर रहे। हालांकि इसमें मॉनसूनी हवाओं की भूमिका कम पश्चिमी विक्षोभों की भूमिका अधिक रही।
जुलाई में मॉनसून के प्रदर्शन का ज़िक्र करें तो देश के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून के इस दूसरे महीने में भी अच्छी वर्षा हुई लेकिन जून के मुक़ाबले यह कमजोर रहा। उत्तर पश्चिम भारत में भी अपेक्षाकृत वर्षा कम हुई और यहाँ सामान्य से अधिक वर्षा के आंकड़े में 18 फीसदी की गिरावट आई।
दक्षिण भारत में भी जून 8 प्रतिशत अधिक वर्षा के साथ सम्पन्न हुआ था, जबकि जुलाई अच्छी वर्षा ना होने से आंकड़े सामान्य से 17 प्रतिशत नीचे पहुँच गया। हालांकि देश भर में जुलाई की विदाई 2 प्रतिशत अधिक वर्षा के साथ हुई।
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लेकिन अगस्त में मॉनसून के प्रदर्शन में और गिरावट आई। अगर अब तक देश भर में इस मॉनसून सीजन में हुई कुल वर्षा के आंकड़ों पर नज़र डालें 21 अगस्त तक सामान्य से 4 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। इस समय देश भर में पूर्वी भारत ही एक मात्र ऐसा क्षेत्र है सामान्य बारिश सामान्य से ऊपर चल रही है और अब तक सामान्य से 3 फीसदी अधिक के स्तर पर है। जबकि उत्तर-पश्चिम मध्य और दक्षिण भारत पिछड़ रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सूखे जैसे हालात हैं क्योंकि यहाँ अब तक तक सामान्य से 35 फीसदी अधिक बारिश हुई है।
अगस्त के बाकी दिनों में मॉनसून वर्षा की संभावना
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार देश भर में मॉनसून की वर्तमान स्थिति में जल्द कोई सुधार दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि मध्य भारत में इस दौरान अच्छी वर्षा दर्ज की जाएगी विशेषकर ओड़ीशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और दक्षिण-पूर्वी राजस्थान मॉनसून वर्षा का केंद्र रहेंगे।
हालांकि दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के लिए अगस्त के बाकी दिनों में भी मॉनसून के प्रदर्शन में सुधार दिखाई नहीं दे रहा है। उत्तर पश्चिम भारत के लिए भी अच्छी वर्षा के संकेत नहीं हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान और उत्तराखंड में सामान्य मॉनसून वर्षा की गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं। राजस्थान के पश्चिमी इलाकों में मौसम शुष्क ही बने रहने की संभावना है।
Image credit: India Someday
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