[Hindi] मॉनसून की वापसी जल्द; उत्तर व मध्य भारत में मॉनसून वर्षा का अध्याय सम्पन्न

September 28, 2017 11:08 AM|

Southwest Monsoon in Indiaदक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन के सम्पन्न होने में आधिकारिक तौर पर महज़ 3 दिन बचे हैं और ऐसे में चौंकाने वाली बात यह है कि अब तक उत्तर भारत से भी इसकी वापसी की शुरूआत नहीं हुई है। मॉनसून पश्चिमी राजस्थान से प्रायः सितंबर के मध्य से अपनी वापसी का सफर शुरू कर देता है।

राजस्थान के बाद गुजरात और जम्मू कश्मीर से मॉनसून वापस लौटता है सितंबर के आखिर तक भारत के सभी हिस्सों से मॉनसून की वापसी का सफर भी पूरा हो जाता है। दिल्ली सहित उत्तर भारत के मैदानी और पर्वतीय भागों में 22-23 सितंबर की बारिश के पहले लंबे समय से उत्तर भारत में बारिश नहीं हो रही है लेकिन मौसमी परिदृश्य ऐसा भी नहीं बना था कि मॉनसून के वापस लौट जाने की आधिकारिक तौर पर घोषणा की जा सके।

मॉनसून 2017 का प्रदर्शन कमजोर रहा। इसने सामान्य से 5 फीसदी कम बारिश दी। स्काइमेट ने 95 फीसदी बारिश की संभावना जताई थी। सितंबर की शुरुआत से मॉनसून का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है इसके बावजूद इसकी वापसी में देरी की बात आम लोगों को चौंकाने वाली हो सकती है। लेकिन इसके पीछे मौसमी परिदृश्य कारण हैं।

स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मॉनसून की अब तक वापसी ना होने का प्रमुख कारण हैं ओड़ीशा के तटों पर बंगाल की खाड़ी में बीते दिनों से एक के बाद एक मौसमी सिस्टमों का विकसित होना। यह सिस्टम क्रमशः पश्चिमी दिशा में बढ़ते रहे और मध्य प्रदेश सहित मध्य भारत के कई हिस्सों में इनके चलते हाल के दिनों में अच्छी बारिश देखने को मिली। इन मौसमी सिस्टमों के प्रभाव से दक्षिण-पूर्वी आर्द्र हवाओं का प्रवाह उत्तर भारत में निरंतर बना रहा।

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इसके साथ-साथ दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान और इससे सटे पाकिस्तान पर भी पिछले दिनों एक के बाद एक चक्रवाती सिस्टम विकसित हो रहे थे जिससे दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ इन राज्यों के साथ-साथ मैदानी राज्यों तक पहुँच रही थीं। देश भर में गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।

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इस बीच स्काइमेट के प्रमुख मौसम विशेषज्ञ महेश पालावत के अनुसार मॉनसून की वापसी के लिए अब मौसमी परिदृश्य अनुकूल बन गया है और किसी भी समय भारत से मॉनसून की वापसी हो सकती है। आमतौर पर राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में लगातार 5 दिनों तक शुष्क मौसम, हवाओं की दिशा में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पश्चिमी दिशा में बदलाव और आर्द्रता में व्यापक गिरावट जैसे कुछ निश्चित मानदंड हैं जिनके पूरा होने पर ही मॉनसून की वापसी की औपचारिक घोषणा की जाती है।

राजस्थान और गुजरात पर बनने वाले एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन को भी मॉनसून की वापसी के संकेतक के तौर पर देखा जाता है। एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन दक्षिण-पश्चिमी आर्द्र हवाओं को उत्तर भारत के मैदानी भागों में पहुँचने से रोकता है। बीते कुछ दिनों से गुजरात और इससे सटे राजस्थान पर एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन बन गया है। इसके चलते उत्तर भारत के मैदानी भागों में अब मौसम शुष्क हो गया है। जल्द ही मॉनसून की वापसी की आधिकारिक पुष्टि भी हो जाएगी।

उत्तर भारत से वापसी शुरू होने के बाद मॉनसून देश भर से जल्द ही विदा हो जाएगा क्योंकि आने वाले दिनों में उत्तर-पश्चिमी और मध्य भारत में कोई मौसमी सिस्टम विकसित होता दिखाई नहीं दे रहा है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मॉनसून की वापसी पश्चिमी राजस्थान और गुजरात के कच्छ क्षेत्र से शुरू होगी उसके पश्चात हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और पूर्वी राजस्थान से मॉनसून वापस लौटेगा।

Image credit: The Indian Express

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