मॉनसून का अब तक का प्रदर्शन
भारत में दक्षिण पश्चिम मॉनसून की शुरुआत आमतौर पर 1 जून को केरल से होती है। मॉनसून 2017 ने 30 मई को केरल में दस्तक देने के साथ 4 महीने का लंबा सफर शुरू किया। देश भर के अब तक के बारिश के आंकड़े अगर देखें, तो कह सकते हैं कि मॉनसून ने हमें निराश नहीं किया है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का 4 महीनों का आधा हिस्सा 31 जुलाई को सम्पन्न हो गया। देश भर में 31 जुलाई तक 102 प्रतिशत यानि सामान्य मॉनसून वर्षा हुई।
मॉनसून सीज़न का आधा समय बीत गया है और 1 अगस्त से 30 सितंबर तक यानि मॉनसून सीज़न का अगला आधा हिस्सा शुरू हो चुका है। फिलहाल जून और जुलाई में मॉनसून के प्रदर्शन पर डालते हैं एक नज़र।
जून में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का प्रदर्शन
जून के पहले महीने में भारत के अधिकांश हिस्सों में अच्छी बारिश दर्ज की गई। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक और लक्षद्वीप जैसे दक्षिणी प्रायद्वीप के कई हिस्सों में मॉनसून का प्रदर्शन सामान्य से अधिक रहा। हालांकि दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक और अंडमान और निकोबार में बारिश की कमी हुई।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून जून की शुरुआत में उत्तर भारत में नहीं पहुंचता है लेकिन 1 जून के बाद से देश भर में होने वाली बारिश मॉनसून बारिश के तौर पर ही गिनी जाती है। आंकड़े आश्चर्यजनक रूप से चौंकाने वाले रहे। जून महीने में उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से काफी अधिक वर्षा हुई।
दरअसल, उत्तर-पश्चिमी भारत में जून महीने में भारी प्री-मॉनसून वर्षा दर्ज की गई। इस दौरान उत्तर भारत के हरियाणा, पंजाब, जम्मू और कश्मीर और पश्चिमी राजस्थान जैसे स्थानों में व्यापक रूप में वर्षा हुई। हिमाचल प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में भी सामान्य से अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई।
लेकिन देश के पूर्वी हिस्सों में गंगीय पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश जैसे भागों को जून में बारिश बहुत कम हुई और अधिकतर समय शुष्क मौसम का सामना करना पड़ा।
जून में देश भर में सामान्य से 4 प्रतिशत अधिक 170.2 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई। आमतौर पर जून में भारत में 163.6 मिलीमीटर वर्षा होती है।
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जुलाई के दौरान दक्षिण पश्चिम मॉनसून का प्रदर्शन
जुलाई में भी देश में अच्छी बारिश का सिलसिला जारी रहा। बल्कि यूं कहें कि इस मॉनसून सीज़न में जून की तरह ही जुलाई में भी देश के कई भागों में अच्छी मॉनसून बारिश दर्ज की गई।
जुलाई के आखिर में पश्चिमी राजस्थान और गुजरात के सौराष्ट तथा कच्छ क्षेत्र में मॉनसून व्यापक रूप में सक्रिय रहा और इन भागों में अच्छी वर्षा दर्ज की गई। गुजरात के सौराष्ट तथा कच्छ में भीषण बारिश के चलते बाढ़ जैसे हालत आ गए।
जुलाई के दूसरे पखवाड़े में देश के मध्य हिस्सों में बने निम्न दबाव के क्षेत्र के चलते गुजरात ही नहीं बल्कि दक्षिणी राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में लोगों को भारी बाढ़ का सामना करना पड़ा। पूर्वोत्तर भारत अब तक मॉनसून वर्षा के लिहाज़ से पिछड़ रहा है लेकिन असम में भारी बारिश हुई और कई जगहों पर बाढ़ जैसी स्थितियाँ बनी रहीं।
हालांकि जुलाई में कई इलाके ऐसे भी रहे जहां मॉनसून बेहद सुस्त रहा और बारिश कम हुई। इन क्षेत्रों में मराठवाड़ा, तमिलनाडु, आंतरिक कर्नाटक और पश्चिमी उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
कहीं अधिक तो कहीं कम वर्षा के बीच जुलाई सामान्य से 2 प्रतिशत अधिक यानि 102 प्रतिशत बारिश के साथ सम्पन्न हुई। जुलाई में देश भर में 460.2 मिमी बारिश हुई। मॉनसून के इस दूसरे माह में औसतन 452.8 मिमी बारिश होती है।
अगस्त के लिए मॉनसून पूर्वानुमान
जुलाई के दौरान अच्छी बारिश देने के बाद मॉनसून अगस्त आते ही कमजोर हो गया और देश के अधिकांश हिस्सों में बारिश घट गई। इस समय मॉनसून की अक्षीय रेखा इस समय हिमालय के तराई क्षेत्रों में चली गई है और अगले कुछ दिनों तक उसी जगह बनी रहेगी। ऐसी स्थिति 4 महीनों की मॉनसून अवधि में आना सामान्य बात है और इसे मॉनसून ब्रेक की स्थिति कहा जाता है। इसके अलावा देश में विशेषकर राजस्थान और गुजरात पर निम्न दबाव के क्षेत्र भी विकसित नहीं हो रहे हैं जिससे मॉनसून में यह ब्रेक है।
हालांकि, मॉनसून की अक्षीय रेखा के पूर्वी छोर के दक्षिण की तरफ बढ़ने की संभावना है, इसलिए हमारा अनुमान है कि गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे देश के पूर्वी हिस्सों में अगले कुछ दिनों के दौरान बारिश की वापसी हो सकती है। इन भागों में रुक-रुक कर वर्षा देखने को मिल सकती है।
स्काइमेट के प्रमुख मौसम वैज्ञानिक महेश पालावत के अनुसार अगस्त की पहले पखवाड़े में मॉनसून की स्थिति कमजोर ही बनी रहेगी क्योंकि जल्द कोई सक्रिय सिस्टम बनाता दिखाई नहीं दे रहा है।
इसके मद्देनजर यह कह सकते हैं कि 31 जुलाई तक जहां मॉनसून का प्रदर्शन सामान्य से 2 प्रतिशत अधिक रहा वही अगस्त के मध्य तक आते-आते इसमें 5-6 प्रतिशत तक की कमी आ जाएगी।
Image credit: Bloomberg.com
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