प्रायद्वीपीय भारत के लगभग सभी भागों में नवंबर में उत्तर-पूर्वी मॉनसून के अंतर्गत अच्छी बारिश दर्ज की गई है। यही नहीं अक्टूबर में बारिश की जो कमी रह गई थी उसकी भरपाई भी नवंबर में हो गई है। स्काइमेट के पास उपलब्ध बारिश के आंकड़ों के अनुसार दक्षिण भारत के कई भागों में पहले ही इस सीज़न की कुल बारिश से अधिक वर्षा रिकॉर्ड की जा चुकी है।
उदाहरण के तौर पर तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में नवंबर में अब तक 1143 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है जो उत्तर-पूर्वी मॉनसून की कुल अवधि (अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर) में होने वाली औसत 877 मिलीमीटर की बारिश से कहीं अधिक है। चेन्नई में यह रिकॉर्ड है क्योंकि यहाँ इतनी बारिश कभी नहीं हुई। नागपट्टिनम तमिलनाडु का वह दूसरा शहर है जहां चेन्नई के बाद सबसे अच्छी वर्षा दर्ज की गई है। नागपट्टिनम में नवंबर में अब तक 944 मिलीमीटर वर्षा हुई है जो पूरे सीज़न में होने वाली 954 मिलीमीटर की कुल औसत बारिश के बिलकुल करीब है।
आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में भी इस दौरान व्यापक वर्षा हुई। शहर में इस महीने 745 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई है। जबकि नेल्लोर में उत्तर-पूर्वी मॉनसून की अवधि के दौरान कुल 685 मिलीमीटर वर्षा होती है। कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु की बात करें तो यहाँ नवंबर में अब तक 290 मिमी वर्षा हुई। दक्षिण भारत के इस खूबसूरत शहर में इस सीज़न में आमतौर पर 226 मिलीमीटर वर्षा होती है।
रोचक तथ्य यह भी है कि इस बार बंगाल की खाड़ी में कोई चक्रवाती तूफान नहीं उठा, इसके बावजूद दक्षिणी राज्यों में सामान्य से काफी अधिक बारिश रिकॉर्ड की जा चुकी है। इस बारिश का कारण हैं खाड़ी में बनने वाले चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र और निम्न दबाव के क्षेत्र। स्काइमेट ने अनुमान लगाया था कि उत्तर-पूर्वी मॉनसून में सामान्य से अधिक वर्षा होगी। अब तक के मौसमी परिदृश्य को देखें तो यह अनुमान व्यापक रूप में सच हो रहा है। उत्तर-पूर्वी मॉनसून की अवधि समाप्त होने में अभी एक महीने से अधिक का समय बाकी है और ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि उत्तर-पूर्वी मॉनसून में औसत से काफी अधिक वर्षा होगी।
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